आगी लगेे पिटरोल मा, बरत हवय दिन राती । मँहगाई भभकत हवय, धधकत हे छाती ।। कोरोना के मार मा, काम-बुता लेसागे । अउ पइसा बाचे-खुचे, अब तो हमर सिरागे ।। मरत हवन हम अइसने, अउ काबर तैंं मारे । डार-डार पिटरोल गा, मँहगाई ला बारे ।। सुनव व्यपारी, सरकार मन, हम कइसे के जीबो । मँइगाई के ये मार मा, का हम हवा ल पीबो ।। जनता मरहा कोतरी, मँहगाई के आगी । लेसत हे नेता हमर, बांधत कनिहा पागी ।। कोंदा भैरा अंधरा, राज्य केन्द्र के राजा । एक दूसर म डार के, हमर बजावत बाजा ।। दुबर ल दू अषाढ़ कस, डहत हवय मँहगाई । हे भगवान गरीब के, तुँही ददा अउ दाई ।। -रमेश चौहान
Kanwar Yatra: Cultural and Regional Variations Across India
-
1. Introduction The Kanwar Yatra is a significant Hindu pilgrimage that
takes place annually during the month of Saavan, dedicated to Lord Shiva.
Millions ...
23 घंटे पहले