जापानी विधा । हाइकू, तांका, चोका । देश मा छाये ।। कोन हे इहां छंद के पूछईया । कोन बताये । ये मोर देश मोर अपने आय घात सुहाये । देश के माटी पुराना परिपाटी आज नंदाये । नवा लहर मचाये हे कहर जुन्ना ला खाये । कोन देखे हे मौसम बदले मा आने धरती । कोनो पेेड मा नवा पत्ती के आये नवा जर हे । टुकना तोपे कोन डोकरा राखे काला ये भाते ।
जनसंवेदना और हौसले का कवि – भगवती लाल सेन-डुमन लाल ध्रुव
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छत्तीसगढ़ की धरती ने अनेक साहित्यकारों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी लेखनी से
जनमानस को न सिर्फ स्वर दिया बल्कि उनके संघर्षों को भी साहित्य के पन्नों पर
अमर ...
18 घंटे पहले