समय हृदय के साफ, दुवाभेदी ना जानय । चाल-ढाल रख एक, सबो ला एके मानय । पानी रहय न लोट, कमल पतरी मा जइसे । ओला होय न भान, हवय सुख-दुख हा कइसे । ओही बेरा एक, जनम कोनो तो लेथे । मरके कोनो एक, सगा ला पीरा देथे ।। अपन करम के भोग, भोगथे मनखे मनखे । कोनो बइठे रोय, हाँसथे कोनो तनके ।।
हिन्दी दिवस पर विशेष -भाषा, संस्कृति और आत्मगौरव का उत्सव
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डुमन लाल ध्रुव हिन्दी :राष्ट्र की विविधताओं को जोड़ने वाली सेतु हिन्दी केवल
एक भाषा नहीं बल्कि भारत की आत्मा, संस्कृति, परंपरा और राष्ट्र की विविधताओं
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1 दिन पहले