समय हृदय के साफ, दुवाभेदी ना जानय । चाल-ढाल रख एक, सबो ला एके मानय । पानी रहय न लोट, कमल पतरी मा जइसे । ओला होय न भान, हवय सुख-दुख हा कइसे । ओही बेरा एक, जनम कोनो तो लेथे । मरके कोनो एक, सगा ला पीरा देथे ।। अपन करम के भोग, भोगथे मनखे मनखे । कोनो बइठे रोय, हाँसथे कोनो तनके ।।
लखनऊ की जीवंत सांस्कृतिक परम्परा है “मेटाफर लिटफेस्ट
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डॉ अलका सिंह, शिक्षक, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविधालय, लखनऊ
साहित्य संस्कृतियों का परिचायक है और संस्कृतियां साहित्य की श्रीवृद्धि करती
हैं।...
1 दिन पहले