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कतका झन देखे हें-

समय हृदय के साफ

समय हृदय के साफ, दुवाभेदी ना जानय । चाल-ढाल रख एक, सबो ला एके मानय । पानी रहय न लोट, कमल पतरी मा जइसे । ओला होय न भान, हवय सुख-दुख हा कइसे । ओही बेरा एक, जनम कोनो तो लेथे । मरके कोनो एक, सगा ला पीरा देथे ।। अपन करम के भोग, भोगथे मनखे मनखे । कोनो बइठे रोय, हाँसथे कोनो तनके ।।

यशोदा के ओ लाला

नंदलाल के लाल, यशोदा के ओ लाला । बासुरिया धुन छेड़, जगत मा घोरे हाला ।। माखन मटकी फोर, डहर मा छेके ग्वाला । बइठ कदम के डार, बलावत हस तैे काला । ओ बंशी के तान, सुने बर मोहन प्यारे । जड़ चेतन सब जीव, अपन तन मन ला हारे ।। सुन लव मोर पुकार, फेर ओ बंशी छेड़व । भरे देह मा पीर, देह ले कांटा हेरव ।।

आज फुलवारी जागे

बिरही बिरवा होय, आज फुलवारी जागे । मंदिर मंदिर ठांव, हमर घर कुरिया लागे । रिगबिग रिगबिग जोत, जवारा झूमे लहराये । दाई के ये रूप, जगत ला घात रिझाये । नौ दिन नौ रात, करब दाई के सेवा । दाई मयारू घात, मांगबो भगती मेवा । मादर ढोल बजाय, ताल दे जस ला गाबो । झूम झूम के सांट, हाथ मा हमन लगाबो ।।

अपन फरज निभाबो

रोला छ़द अपन देश के फर्ज. हमू मन आज निभाबो । कामबुता के संग. देश के गीत ल गाबो । देशभक्त ला देख. फूल कस बिछ जाबो । आघू बैरी देख. हमन बघवा बन जाबो ।। -रमेश चौहान

जबर गोहार लगाबो

अपने ला बिसराय, नशा मा जइसे माते । अपन गांव ला छोड़, शहर ला वो तो भाते ।। नषा ओखरे तोड़, चलव झकझोर जगाबो । बनय गांव हा नेक, जबर गोहार लगाबो ।। जागव संगी मोर, पहाती बेरा आगे । जाके थोकिन देख, खेत मा आगी लागे । हरहा हरही झार, खेत ले मार भगाबो । बाचय हमर धान, जबर गोहार लगाबो ।। दोसा इडली छोड़, फरा चैसेला खाबो । पाप सांग अब छोड़, ददरिया करमा गाबो ।। छत्तीसगढ़ीया आन, जगत ला हमन बताबो । अपन देखावत शान, जबर गोहार लगाबो ।।

शक्ति हमला दे अतका

हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। बैरी हे मन मोर, बइठ माथा भरमाथे । डगर झूठ के छांट, हाथ धर के रेंगाथे ।। अइसन करव उपाय, छूट जय ऐखर झटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। सत के रद्दा तोर, परे जस पटपर भुइया । कइसे रेंगंव एक, दिखे ना एको गुइया ।। परे असत के फेर, खात हन हम तो भटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। मन मंदिर मा तोर, एक मूरत दे अइसन । जिहां बसे हे झार, असत मन हा तो कइसन ।। मर जावय सब झूठ, पाय मूरत के रचका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।

गीत-"कहां मनखें गंवागे"

दिखय न कोनो मेर, हवय के नाव बुतागे खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। दिखय न कोनो मेर, हवय के नाव बुतागे खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। जंगल झाड़ी खार, डोंगरी मा जा जाके । सहर सहर हर गांव, गीत ला गा गाके ।। इहां उहां अब खोज, मुड़ी हा मोर पिरागे । खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। रद्दा म मिलय जेन, तीर ओखर जा जा के । करेंव मैं फरियाद, आंसु ला ढरा ढरा के  । जेला मैं पूछेंव, ओखरे मति ह हरागे  । खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। गरीब गुरबा संग, रहय ओ मन ल लगा के । पोछय ओखर आॅसु, संगवारी अपन बना के अइसन हमर  मितान, हमर ले घात रिसागे ।। खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। ऊॅच-नीच के भेद, मिटाये मया जगा के । मेटे झगड़ा पंथ, खुदा ला एक बता के ।। ले मनखेपन संत, जगत ले कती हरागे । खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। दरद मा दरद जान, रखय ओ अपन बनाके । हेरय पीरा बान, जेन हर हॅसा हॅसा के ।। ओखर ओ पहिचान, संग ओखरे सिरागे । खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। दिखय न कोनो मेर, हवय के नाव बुतागे । खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे ।। खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे । ख

वाह रे तै तो मनखे

जस भेडि़या धसान, धसे मनखे काबर हे । छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।। नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा । बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा । रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे । अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।। रोके तोला जेन, ओखरे बर तै दतगे । मनखे मनखे कहय, वाह रे तै तो मनखे ।। दे दूसर ला दोष, दोष अपने दिखय नही । दिखय कहूं ता देख, तहूं हस ग दूसर सही ।। धरम करम के मान, लगे अब पथरा जइसे । पथरा के भगवान, देख मनखे हे कइसे ।

बेटी (रोला छंद)

बेटी मयारू होय, ददा के सब झन कहिथे । दुनिया के सब दर्द, तोर पागा बर सहिथे ।। ससुरे मइके लाज, हाथ मा जेखर होथे । ओही बेटी आज, मुड़ी धर काबर रोथे।।

होली गीत

चारो कोती छाय, मदन के बयार संगी । मउरे सुघ्घर आम, मुड़ी मा पहिरे कलिगी ।। परसा फूले लाल, खार मा जम्मो कोती । सरसो पिउरा साथ, छाय रे चारो कोती ।। माते हे अंगूर, संग मा महुवा माते । आनी बानी फूल, गहद ले बगिया माते ।। तितली भवरा देख, मंडरावत बड़ भाते । होरी के गा डांग,  फाग के गीत सुनाथे ।। पिचकारी के रंग, मया ले गदगद लागे । हवा म उड़े गुलाल, प्रेम के बदरी छागे । रंग रंग के रंग, देख मुह लइका भागे । मया म हे मदहोश, रंग के नसा म माते ।। होवय जिहां ग फाग, धाम बृज कस हे लागे । दे बुलऊवाश्‍ष्याम, संग मा राधा आगे । राधा बिना न श्‍याम, श्‍याम राधा के होरी ।  हवय समर्पण प्रेम, नई होवय बर जोरी ।। राधा के तै श्‍याम, रंग दे अपन रंग मा । खेलव होरी रास, श्‍याम रे तोरे संग मा । तै ह हवस चितचोर, बसे हस मोरे मन मा । महु ला बना ले गोप, सखा तै अपन मन मा ।।

गंवा गे जी गांव

    गंवा गे जी गांव, कहूं देखे हव का गा ।     बइठे कोनो मेर, मुड़ी मा बांधे पागा ।।     खोंचे चोंगी कान, गोरसी तापत होही ।     मेझा देवत ताव, देख इतरावत होही ।।1।।     कहां खदर के छांव, कहां हे पटाव कुरिया ।     ओ परछी रेंगान, कहां हे ठेकी चरिया ।।     मूसर काड़ी मेर, हवय का संगी बहना ।     छरत टोसकत धान, सुनव गा दाई कहना ।।2।।     टोड़ा पहिरे गोड़, बाह मा हे गा बहुटा ।     कनिहा करधन लोर, सूतिया पहिरे टोटा ।।     सुघ्घर खिनवा ढार, कान मा पहिरे होही ।     अपने लुगरा छोर, मुडी ला ढाॅंके होही ।।3।।     पिठ्ठुल छू छूवाल, गली का खेलय लइका ।     ओधा बेधा मेर, लुकावत पाछू फइका ।।     चर्रा खुड़वा खेल, कहूं का खेलय संगी ।     उघरा उघरा होय, नई तो पहिरे बंडी ।।4।।     घर मोहाटी देख, हवय लोहाटी तारा ।     गे होही गा खेत, सबो झन बांधे भारा ।।     टेड़त संगी कोन, देख बारी मा टेड़ा ।     फरे भाटा पताल, हवय का सुघ्घर केरा ।।5।।      रद्दा रेंगत जात , धरे अंगाकर रोटी ।     धोती घुटना टांग, फिरे का देख कछोटी ।।     पीपर बरगद छांव, ढिले का गढहा गाड़ी ।     करत बइठ आराम, दे

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