कती जाई कती पाई, खुशी के ओ ठिकाना ला । कती खोजी गँवाये ओ, हँसे के रे बहाना ला ।। फिकर संसो जिये के अब, नदागे लइकुसी बेरा । बुता खोजी हँसी खोजी, चलय कइसे नवा डेरा ।।
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
-
मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
3 हफ़्ते पहले