जस चश्मा के रंग होय । तइसे मनखे दंग होय भाटा कइसे हवय लाल । पड़े सोच मा खेमलाल चश्मा ला मन मा चढ़ाय । जग ला देखय हड़बड़ाय करिया करिया हवय झार । ओ हा कहय मन ला मार अपन सोच ले दुनिया देख । मनखे जग के करे लेख तोर मोर हे एक रंग । कहिथे जब तक रहय संग दुनिया हा तो हवय एक । दिखथे घिनहा कभू नेक दुनिया के हे अपन हाल । तोरे मन के अपन चाल दस अँगरी हे तोर हाथ । छोटे बड़े हवे एक साथ मुठ्ठी बनके रहय संग । काबर होथव तुमन तंग
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
3 दिन पहले