सावन तैं करिया बिलवा हस, तैं छलिया जस कृष्ण मुरारी । जोहत-जोहत रोवत हावँव, आत नई हस मोर दुवारी ।। बूँद कहां तरिया नरवा कुछु बोर कुवाँ नल हे दुखियारी । बावत धान जरे धनहा अब रोय किसान धरे मुड़ भारी ।। पीयब धोब-नहावब के अब संकट ले बड़ संकट भारी । बोर अटावत खेत सुखावत ले कइसे अब जी बनवारी । आवव-आवव बादर सावन संकट जीवन मा बड़ भारी ।। देर कहूँ अब तैं करबे तब। जीयत बाचब ना जग झारी ।।
Kanwar Yatra: Cultural and Regional Variations Across India
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1. Introduction The Kanwar Yatra is a significant Hindu pilgrimage that
takes place annually during the month of Saavan, dedicated to Lord Shiva.
Millions ...
1 दिन पहले