चित्र गुगल से साभार लुहुर-तुहुर मन तरसे सावन के बदरी झिमिर-झिमिर जब बरसे सपना मोला भाथे खुल्ला आँखी जब मुहरन तोर समाथे खोले मन के पाँखी सपना के बादर खोजय तोला आँखी चलय देह मा स्वासा मन मा जबतक हे तोर मिलन के आसा जोहत तोर अगोरा आँखी पथरागे तोर मया के बोरा तोर बिना रे जोही जीवन नइया के कोन जनी का होही
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
2 दिन पहले