छत्तीस प्रकार सोच धरे छत्तीस प्रकार के मनखे छत्तीसगढ़ के संगे-संग हमर देश मा रहिथे जइसे कोनो फूल के माला मा रिकिम-रिकिम के फूल एक संग गुथाये होवय । हमर देश के छाती हा घातेच चाकर हे जेमा समा जाथे आनी-बानी के भाशा-बोली अउ आनी-बानी के सोच वाले मनखे । फेर अभी-अभी धुँवा आवत हे आगी सुलगत हे भीतर-बाहिर अपन-बिरान तोर-मोर के कचरा मा कोनो लुकी डार दे हे । दउड़व-दउड़व अपन सोच-विचार के हउला-डेचकी धर के समता के पानी भर के भभकत आगी ला जल्दी ले बुतोवव ।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक सनातनी भारत – मेरे दृष्टिकोण से– डॉ. अर्जुन दुबे
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हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों में 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का
उल्लेख मिलता है। हिन्दू श्रद्धालु पीढ़ियों से इन स्थलों के दर्शनार्थ जाते
रहे हैं,...
4 दिन पहले