कभू आय कभू तो जाय, सुख बादर जेन कहाये। सदा रहय नहीं गा साथ, दुख जतका घाम जनाये ।। बने हवय इहां दिन रात, संघरा कहां टिक पाये । बड़े होय भले ओ रात, दिन पक्का फेर सुहाये ।।
हिन्दी दिवस पर विशेष -भाषा, संस्कृति और आत्मगौरव का उत्सव
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डुमन लाल ध्रुव हिन्दी :राष्ट्र की विविधताओं को जोड़ने वाली सेतु हिन्दी केवल
एक भाषा नहीं बल्कि भारत की आत्मा, संस्कृति, परंपरा और राष्ट्र की विविधताओं
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2 दिन पहले