हाथ धरे पर्स, पर्स म मोबाइल चुपे चाप बोल ले, कर के स्माइल मोर करेजा मोर करेजा उबुक-चुबुक तोला जोहे तोला जोहे करेजा करे बर संगी संगी मोर होइ जाबे ना टाठ-टाठ जिंस पेंट, टाठे हे कुरता तोर झूल-झूल रेंगना के आवत हे सुरता मोर करेजा मोर करेजा उबुक-चुबुक तोला जोहे तोला जोहे करेजा करे बर संगी संगी मोर होइ जाबे ना चढ़े स्कूटी, तै गली घूमे नजर भेर देख, अपन हाथे चूमे मोर करेजा मोर करेजा उबुक-चुबुक तोला जोहे तोला जोहे करेजा करे बर संगी संगी मोर होइ जाबे ना कोहनी ले मेंहदी, अंगठा म छल्ला गजब के सोहत हे, सब करे हल्ला मोर करेजा मोर करेजा उबुक-चुबुक तोला जोहे तोला जोहे करेजा करे बर संगी संगी मोर होइ जाबे ना एके गोड़ म पहिरे, रेशम के डोरी सुटुर-सुटुर रेंगे, करके दिल ल चोरी मोर करेजा मोर करेजा उबुक-चुबुक तोला जोहे तोला जोहे करेजा करे बर संगी संगी मोर होइ जाबे ना
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
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मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
3 दिन पहले