नायक - गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । फूल बुटा बनवाय हंव, गोरी तोरे नाम के ।। नायिका- टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । खोर गिंजरा सेखिया, नई हवस कुछु काम के ।। नायक- तैं डारे हस मोहनी, मुखड़ा ला देखाय के । होगे तैं दिल जोगनी, दिल म मया जगाय के । तोर मया ला पाय बर, घूट पियें बदनाम के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- रूप रंग ला तैं अपन, दरपन धर के देख ले । आधा चुन्दी ठेकला, गाल दिखे हे पेच ले । कोने तोला भाय हे, फूल कहे गुलफाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । नायक- तोरे मुॅह ला देख के, चंदा लुकाय लाज मा । मुच मुच हॉसी तोर ओ, भगरे हे सब साज मा । तैं मोरे दिल मा बसे, जइसे राधा ष्याम के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- काबर तैं घूमत हवस, पढ़ई लिखई छोड़ के । आथस काबर ये गली, अइसन नाता जोर के । धरे मया के भूत हे, तोला मोरे नाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के ।
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
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3 दिन पहले