मउसम के ये मार मा, मरत हन हम किसान । परे करा पाके चना, कइसे करी मितान ।। कइसे करी मितान, सुझत नइ हे कुछु हमला । कनिहा गे अब टूट, धरी कइसे हम दम ला ।। उत्तम लगे व्यपार , नौकरी लागय मध्यम । खेती लगय नीच, घात करथे जब मउसम ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले