देखत रद्दा तोर गा, आंखी गे पथराय। संझा आहूू तै कहे, अब ले नइ तो आय ।। अब ले नइ तो आय, तोर कोनो संदेशा । फरकत आंखी मोर, लगत मोला अंदेशा ।। होबे कोनो मेर, बने गदहा कस रेकत । पिये छकत ले दारू, परे होबे तै देखत ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले