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संदेश

कतका झन देखे हें-

देखत रद्दा तोर गा

देखत रद्दा तोर गा, आंखी गे पथराय। संझा आहूू तै कहे, अब ले नइ तो आय ।। अब ले नइ तो आय, तोर कोनो संदेशा । फरकत आंखी मोर, लगत मोला अंदेशा ।। होबे कोनो मेर, बने गदहा कस रेकत । पिये छकत ले दारू, परे होबे तै देखत ।।

धन धन वो दाई ददा

धन धन वो दाई ददा, धन धन ओखर भाग । धन वो बेटी बेटवा, लगे न जेमा दाग ।। लगे न जेमा दाग, केरवछ भीतर रहि के । धरे जेन संस्कार, मार फेसन के सहि के ।। होत जेखर बिहाव, खुशी तो मनाय जन जन । उड़हरिया गे भाग, लोग सब कहय ग धन धन ।।

खड़े कोन हे नीत मा

खड़े कोन हे नीत मा, देत कोन हे संग । दुनिया ला तो देख के, नीत रीत हे दंग ।। नीत रीत हे दंग, कुकुर गति अपने देखे । करत हे दूर छूर, आदमी डंडा ले के ।। अपना फायदा देख, खुदेे अपने संग   लड़़ेे । छोड़ नीत के संग, अलग रद्दा जेन खड़े ।।

जवा बुढ़ापा ले कहय

जवा बुढ़ापा ले कहय, निकल गेय दिन तोर । राम नाम भज तै बइठ, कर मत जादा शोर ।। कर माता जादा शोर, टांग हर बात झन अड़ा । टुकुर टुकुर तै देख, नजर ला अपन झन गड़ा । बिते जमाना तोर, नवा दिन के बहत हवा । दुनियादारी आज, लगत हे एकदम जवा ।।

देख बड़ोरा काल के

देख बड़ोरा काल के, हरागे मोर चेत । परवा कठवा उड़ा गे, काड़ पटिया समेत ।। काड़ पटिया समेत, गाय कोठा के मोरे । हम देखत रहिगेंन, करेजा मुॅह मा बोरे ।। धन्न भाग भगवान, हमन बाचगेंन कोरा । कहत रहिगेंन राम, काल के देख बड़ोरा ।। डहे रहिन हे बेंदरा, तेला हमन सहेंन । खपरा उतार छानही, टिन ल ठोकें रहेंन ।। टिन ल ठोकें रहेंन, उधारी मा ले ले के । अभी रहिस छूटाय, उधारी हा ले दे के ।। होनी हे बलवान, हमर तो कुछु न लहे । काबर तै भगवान, हमन ला काहेक डहे ।।

काबर धरती डोलगे

काबर धरती डोलगे, कांपत हे इंसान । कइसन माया तोर हे, हे हमरे भगवान ।। हे हमरे भगवान, हजारो झन तो मरगे । रच रच ले घर द्वार, देख बोइर कस झरगे ।। गंवा गे परिवार, कोन अब ओखर रहबर । खेले अइसन खेल, बने तै पथरा काबर ।। -रमेश चौहान

जाना नोनी ससुरार

मोरे कोरा छोड़ तै, बन बेटी हुशियार । दुनिया के ये रीत हे, जाना नोनी ससुरार ।। जाना नोनी ससुरार, खुशी दुनिया के ले ले । महतारी ला छोड़, सास के बेटी होले ।। तोर सास ससुरार, सरग आवय तोरे । पागा तोरे हाथ, लाज ला रखबे मोरे ।।

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