गली गली हर गांव मा, बेजा कब्जा घात । गली गली छेकाय अब, रद्दा रेंगव देख । कतका मनखे हे तपे, गांव गली ला छेक ।। मनखेपन के मान मा, कतका करे अघात ।। गली गली हर गांव मा.... जे सरकारी जमीन लगय, मान बाप के माल । लाठी जेखर हाथ मा, ऊधम करे धमाल ।। मुटुर मुटुर सब देखथे, कइसन हवे जमात ।। गली गली हर गांव मा.... तरिया नरवा छेक के, दे हें ओला पाट । कहां हवे पानी भला, कहां हवे गा घाट ।। बरजे मा माने नही, करत हवे उत्पात ।। गली गली हर गांव मा.... कोन खार परिया बचे, कहां बचे गउठान । छूटय ना ये बंधना, पारे हवे गठान । गउ ला माता जे कहे, कइसे गे हे मात ।। गली गली हर गांव मा.... बिता बिता ठउर बर, ले लेथे गा जान । अपन भला तो हे अपन, पर के अपने मान ।। लगय देख ये हाल ला, अम्मावस के रात ।। गली गली हर गांव मा.... लोकतंत्र के राज मा, मनखे के ये रोग । करे आजाद देश ला, चढ़ाये हवें भोग ।। वोट बैंक के फेर मा, नेता करे न बात ।। गली गली हर गांव मा....
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले