गोड के साटी नंदा गे, हाथ के चुरी हरागे, मुड़ी के चुंदी कटागे, अब टूरी मन के । माथा के टिकली हर, नाक मा उतर गे हे, कुतर दे हे चेंदरा, मुसवा फेसन के ।। पहिने हे टिप टाप, छोटे-छोटे छांट-छांट, मोबाइल धरे हाथ, गोठ लमावत हे । तन आधा हे उघरा, मुॅह मा तोपे चेंदरा, सरर सरर कर, गाड़ी चलावत हे ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
6 दिन पहले