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कतका झन देखे हें-

आगे दिन बइसाख के

आगे दिन बइसाख के, हवा चलत हे तात । हरर हरर के दिन हवय, कोनो ल कहां भात ।। कोनो ल कहां भात, पसीना तर तर आथे । सब प्राणी ला आज, छांव अउ ठंड़ा भाथे ।। पंखा कूलर फ्रीज, बने सब झन ला लागे । बाढ़े करसी भाव, देख रे गरमी आगे ।।

भोले बाबा

भोले बाबा हा अपन, तन म भभूत लगाय । सांप बिच्छु के ओ बने, अपन गहना सजाय ।। अपन गहना सजाय, बाघ के छाला बांधे । जटा गंगा बिठाय, चंदा ला मुड़ मा सांधे ।। बइठे बइला पीठ, डमरू तब ओखर बोले । तिरसूल धरे हाथ, दिखे हे सुघ्घर भोले ।।

भज मन सीताराम तै

भज मन सीताराम तै, होहि तोर उद्धार । जगत पिता तो राम हे, सीता जगत अधार ।। सीता जगत अधार, गोहरा बिपत अमन मा । माटी चोला तोर, सोच का रखे बदन मा । हे अटल तोर मौत, मोह माया ला अब तज । राम राम कह राम, अरे मन राम राम भज ।।

हे हनुमान प्रभु

ले सुध हे हनुमान प्रभु, राम दूत बजरंग । मूरत सीताराम के, रखथस अपने संग । रखथस अपने संग, चीर छाती तै देखाये । ओखर तै रखवार, जगत ला खुदे बताये । बिपत हरइया नाथ, बिपत मोरो हर दे । पखारंव प्रभु पांव, दास अपने तै कर ले ।।

जग महतारी शारदे

जग महतारी शारदे, हाथ जोड़ परनाम । हमरे मन मा हे भरे, कइसन के अग्यान।। कइसन के अग्यान, देख के जी काॅपत हे । बचा हमरे परान, हृदय तोला झांकत हे । परत हन तोर पांव, हमर कर तै रखवारी । लइका हम नादान, तही तो जग महतारी ।।

हे लंबोदर

हे लंबोदर गौरी सुत, हे गजानन गणेश । श्रद्धा अउ विश्वास के, भेट लाये ‘रमेश‘ ।। भेट लाये ‘रमेश‘, कृपा मोरे ऊपर कर । अब्बड़ हे तकलीफ, नाथ अब ऐला तै हर ।। विघन विनाशक आच, बचा ना प्रभु बाधा ले । मनखे के ये देह, भरे जेमा व्याधा हे ।।

कतका दुख के बात हे

कतका दुख के बात हे, नैतिकता ह सिराय । आत्म सम्मान बेच के, फोकट ला सब भाय ।। फोकट ला सब भाय, लबारी बोलय मनखे । ले सरकारी लाभ, गैर जरूरत मंद चखे ।। लचार जरूरत मंद, इहां तो खाते भटका ।। जनता नेता चोर, इहां भरगे हे कतका ।। -रमेश चौहान

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