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संदेश

कतका झन देखे हें-

मरगे एक किसान

कुण्‍डलियां दिल्ली के हड़ताल मा, मरगे एक किसान । गोठ बात अब हे चलत, काबर खोइस जान ।। काबर खोइस जान, दोष काला हम देइन । मउसम के वो मार, फसल नुकसानी लेइन ।। जेन सकेले भीड़, उड़ावत रहिन ग खिल्ली । वाह पुलिस सरकार, जेन बइठे हे दिल्ली ।। -रमेश चौहान

बेटा जियान नइ परय

बेटा जियान नइ परय, कमावत हवे बाप । दुनो हाथ ले तै उलच, दिखत रह टीप-टाप ।। दिखत रह टीप-टाप, दउड़ सरपट बाइक मा । साइकील मा बाप, मजा पाये लाइफ मा ।। जिये तोर बर बाप, निकाले दुख के लेटा । तोर ददा के काम, याद तै रखबे बेटा ।।

सरकारी काम

रोटी अपने सेकथे, कोनो ला तै देख । नेता अधिकारी लगय, चट्टा बट्टा एक । चट्टा बट्टा एक, करमचारी चपरासी । बैतरनी हे घूस, घाट दफ्तर चौरासी ।। भटकत मनखे जीव, भोचकत हवे कछोटी । कराय बर तो काम, खड़े हे बिन खाय रोटी ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

सीधा-सादा

सीधा-सादा जेन हे, जोजवा तो कहाय । दुनिया दारी छोड़ के, अपने रद्दा जाय । अपने रद्दा जाय, सहय अपमान  तभो ले । झूठ लबारी छोड़, पाय धोखा ग सबो ले ।। का होही भगवान, पाप होवत हे जादा । काबर तो दुख पाय, जगत मा सीधा-सादा ।।

आगे दिन बइसाख के

आगे दिन बइसाख के, हवा चलत हे तात । हरर हरर के दिन हवय, कोनो ल कहां भात ।। कोनो ल कहां भात, पसीना तर तर आथे । सब प्राणी ला आज, छांव अउ ठंड़ा भाथे ।। पंखा कूलर फ्रीज, बने सब झन ला लागे । बाढ़े करसी भाव, देख रे गरमी आगे ।।

भोले बाबा

भोले बाबा हा अपन, तन म भभूत लगाय । सांप बिच्छु के ओ बने, अपन गहना सजाय ।। अपन गहना सजाय, बाघ के छाला बांधे । जटा गंगा बिठाय, चंदा ला मुड़ मा सांधे ।। बइठे बइला पीठ, डमरू तब ओखर बोले । तिरसूल धरे हाथ, दिखे हे सुघ्घर भोले ।।

भज मन सीताराम तै

भज मन सीताराम तै, होहि तोर उद्धार । जगत पिता तो राम हे, सीता जगत अधार ।। सीता जगत अधार, गोहरा बिपत अमन मा । माटी चोला तोर, सोच का रखे बदन मा । हे अटल तोर मौत, मोह माया ला अब तज । राम राम कह राम, अरे मन राम राम भज ।।

हे हनुमान प्रभु

ले सुध हे हनुमान प्रभु, राम दूत बजरंग । मूरत सीताराम के, रखथस अपने संग । रखथस अपने संग, चीर छाती तै देखाये । ओखर तै रखवार, जगत ला खुदे बताये । बिपत हरइया नाथ, बिपत मोरो हर दे । पखारंव प्रभु पांव, दास अपने तै कर ले ।।

जग महतारी शारदे

जग महतारी शारदे, हाथ जोड़ परनाम । हमरे मन मा हे भरे, कइसन के अग्यान।। कइसन के अग्यान, देख के जी काॅपत हे । बचा हमरे परान, हृदय तोला झांकत हे । परत हन तोर पांव, हमर कर तै रखवारी । लइका हम नादान, तही तो जग महतारी ।।

हे लंबोदर

हे लंबोदर गौरी सुत, हे गजानन गणेश । श्रद्धा अउ विश्वास के, भेट लाये ‘रमेश‘ ।। भेट लाये ‘रमेश‘, कृपा मोरे ऊपर कर । अब्बड़ हे तकलीफ, नाथ अब ऐला तै हर ।। विघन विनाशक आच, बचा ना प्रभु बाधा ले । मनखे के ये देह, भरे जेमा व्याधा हे ।।

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