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संदेश

कतका झन देखे हें-

भूत मया के हे धरे (दोहा-ददरिया)

नायक कहां जात हस आज तैं, करे बने सिंगार । कुछु कांही तो बोल ले, करके तैं उपकार ।। नायिका का मतलब तोला हवय, कर तैं अपने काम । जाना हे मोला जिहां, जाहूं ऊही धाम ।। नायक बोली ले महुहा झरे, सुन सुन नशा छाय । चंदा बानी चेहरा, रति हर देख लजाय ।। थोरिक बिलम्ब ले इहां, जाबे तब संसार ।। कहां जात हस आज तैं......   नायिका बड नटखट बदमाश हस, रद्दा छेके मोर । काम बुता तैं छोड़ के, ठाड़े दांत निपोर ।। चल हट रद्दा छोड़ दे, होत हवे रे घाम ।। का मतलब तोला हवय...... नायक रद्दा छोड़े मैं खड़े, काबर दोश लगाय । अंतस अपने देख ले, कोन भला बिलमाय । तन धर के ठाड़े मया, तोरे रद्दा पार ।। कहां जात हस आज तैं...... नायिका बइही  अस मोला लगय, सुन के तोरे गोठ । तैं दूरीहा मा खड़े, कोन धरे हे पोठ ।। भूत मया के हे धरे, अब का होही राम ।। का मतलब तोला हवय......

चिंतन

धरम धरम के शोर हे, जाने धरम ल कोन । कट्टर मन चिल्लाय हे, धरमी बइठे मोन ।। पंथ पंथ के खेल ले, खेले काबर खेल । एक पेड़ के हे तना, तभो दिखय ना मेल ।। अपन सुवारथ मा करे, धरम करम के मोल । हत्या आस्था के करे, अपने बजाय ढोेल ।। भक्त बने के साध मा, मनखे हे बउराय । गिद्ध बाज मन ला घला, अपनेे गुरू बनाय ।। गुरू भक्ति के जोश मा, माने ना ओ बात । छोड़ सनातन बात ला, रचे अपन औकात ।। एक गांठ हरदी धरय, अइसन गुरू हजार ।। चार वेद हा सार हे, होये पंथ हजार । बेटा मारे बाप ला, अपन ल बड़े बताय । अइसन गुरू घंटाल हा, अपने पंथ बनाय ।। बाट सनातन धर्म ला, डंका अपन बजाय । सागर मा होकेे खड़ा, सागर खुदे कहाय ।। भेद संत के कोन हा, आज जान हे पाय । संत कभू बाजार मा, ठाठ-बाठ देखाय ।। ज्ञानी घ्यानी संत हा, करे सनातन गान। अपन बड़ाई छोड़ के, करथे सबके मान ।। परम तत्व केे खोेज मा, रहिथे जेन सहाय । जंगल झाड़ी हे कहां, हमला कोन बताय ।। अपन अपन आस्था हवय, धरव जिहां मन भाय । धरे हवस तैं जान के, बिरथा दोश लगाय ।। तोरे आस्था हे बड़े, मोर कहां कमजोर । जाबो एके घाट मा, जिहां बसे चितचोर ।। तोरे

संत कइसे तैं माने

लेथस साग निमार के, दू पइसा के दाम । बीज घला बोये हवस, सूखा के तैं घाम । सूखा के तैं घाम, बने घिनहा ला जाने । बिना बिचारे फेर, संत कइसे तैं माने ।। आस्था अपन निकाल, बिना परखे तै देथस । धरम करम के नाम, बिना सोचे कर लेथस ।।

बाबा बनहू

बेटा का बनबे बाढ़ के, पूछेंव एक बार । सोच समझ के तैं बता, कइसे होबे पार ।। कइसे होबे पार, जगत के मझधारे ले । तन मन सुघ्घर होय, अपन चिंता मारे ले ।। बेटा बने सियान, कहय गा छोड़ चपेटा । बाबा बन के नाम, कमाही तोरे बेटा ।।

दोेहा-ददरिया

नायिका सावन मा लागे झड़ी, हरर हरर तो जेठ । तोर अगोरा मैं धनी, खड़े दुवारी पेठ ।। नायक बात जेठ के छोड़ दे, आगे सावन देख । होही हरियर अब छोर हा, अचरा मया समेख ।। नायिका सपना जइसे हे लगे, तोर मया के गोठ । दरस परस बर तोर गा, जागे पियास पोठ ।। नायक साॅस साॅस मा तैं बसे, मोरे साॅस चलाय । बैरी गोरी साॅस ले, कइसे तैं बिसराय ।। नायिका डारा डारा नाचथे, भवरा देख लुभाय । काचा काचा ओ कली, कइसे जाय भुलाय ।। नायक कांटा छेदे पंख ला, तभो कली बर जाय । भवरा देथे प्राण ला, जग ला मया जनाय ।। नायिका मैं अइलावत धान कस, रहेंव गा मुरझाय । सावन बरखा बूॅंद कस, मोला तैं जीयाय ।। नायक तोरे ले मोरे हवय, जीवन के ये डोर । चीत चोर सजनी भला, समझे कइसे चोर ।। नायिका बालम तोरे आय ले, आये जीवन मा भोर । तोर मया के गोठ ला, बांधे रहिंव छोर ।। नायक ऐही आसा विष्वास हा, बने मया के गांठ । बोली बतरस मा अपन, हॅसी खुषी ला साट ।। -रमेेश चौहान

गीत सुंदर कांड के-5

सीता माता ला देखे हव का जी, मोर राम के ओ दुलारी ला सीता माता ला देखे हव का जी, मोर राम के ओ दुलारी ला वल्कल पहिरे वियोग गहिरे, दुख के ओ दुखयारी ला जी वल्कल पहिरे वियोग गहिरे दुख के ओ दुखयारी ला जी सीता माता ला देखे हव का जी, मोर राम के ओ दुलारी ला सीता माता ला देखे हव का जी, मोर राम के ओ दुलारी ला रावण के लंका बस्ती मा, कोन संत के हे बासा रावण के लंका बस्ती मा, कोन संत के हे बासा जेखर अंगना तुलसी बिरवा, जेखर अंगना तुलसी बिरवा, राम नाम हे दरवाजा, दुखयारी ला देखे हव का जी मोर राम के ओ दुलारी ला राम राम कहि विभिशण जागे, सम्मुख हनुमत पाये राम राम कहि विभिशण जागे, सम्मुख हनुमत पाये देख देख एक दूसर ला, देख देख एक दूसर ला, अपन गला लगाये, दुखयारी ला देखे हव का जी मोर राम के ओ दुलारी ला विभिशण ला संत जाने, पूछत हवे हनुमान विभिशण ला संत जाने, पूछत हवे हनुमान रावण जेन नारी हर लाय, रावण जेन नारी हर लाय रखे हे कोन स्थान, दुखयारी ला देखे हव का जी मोर राम के ओ दुलारी ला

गीत सुंदर कांड के-4

खोजन लागे हनुमान, खोजन लागे हनुमान लंका के घर-घर मा सीता ला खोजन लागे खोजन लागे हनुमान, लंका के घर-घर मा सीता ला खोजन लागे खोजन लागे हनुमान, लंका के घर-घर मा सीता ला खोजन लागे चोरहा रावण सीता ला कती राखे गा चोरहा रावण सीता ला कती राखे गा ये कती राखे हे गा, ये कती राखे हे गा कती राखे गा, कती राखे गा मोरे रामे के सीता ला, मोरे रामे के सीता ला मोरे रामे के सीता ला कती राखे ना सीता ला खोजन लागे खोजन लागे हनुमान, लंका के घर-घर मा सीता ला खोजन लागे रावण के राजेमहल मा सीता हवय का रावण के राजेमहल मा सीता हवय का ये सीता हा हवय का, ये सीता हा हवय का सीता हवय का, सीता हवय का सीता होही दुखयारी, सीता होही दुखयारी होही कोनो आन, ये सीता नई लागे सीता ला खोजन लागे खोजन लागे हनुमान, लंका के घर-घर मा सीता ला खोजन लागे

गीत सुंदर कांड के-3

अंतस मा रामे ला राखे, हाथे मा गदा ला साजे अंतस मा रामे ला राखे, हाथे मा गदा ला साजे पहाड़े ऊपर जाके गा..........., रामदूत हनुमान रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान, सीता खोजे बर हो राम पानी ले बाहिरे आके, हाथ जोड़े हे मैनाके कहय थिरालव सुराताके, मोरे पीठे मा आके, मैनाके ला हाथ लगा के गा................, रामदूत हनुमान रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान, सीता खोजे बर हो राम देवता मन जब ओला देखे, ऊंखर मन मा षंका होगे मुॅह ला सत जोजन करके, सुरसा ओखर रद्दा रोके, सुरसा मुहे मा जाके गा.............., रामदूत हनुमान रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान, सीता खोजे बर हो राम आघू मा जब लंका आगे, मसक समान ओ रूप ला साजे तभो लंकीनी हा ओला पागे, रोके रद्दा आघू जाके लंकीनी ला मुटका जमा के गा..............., रामदूत हनुमान रामदूत हनुमान भरे हे उड़ान, सीता खोजे बर हो राम

मोर मितान

हर सुख दुख मा साथ रहय, संगी मोर मितान । जानय मन के भेद ला, मोला गढ़े महान । मोला गढ़े महान, हाथ धर रेंगय आघू । जब भटकय मन मोर, रखय समझाय अगाघू ।। सुनलव कहय ‘रमेश‘, मिताने हा समझे हर दुख । संगी बिना बेकार, लगय जीवन के हर सुख ।। -रमेश चौहान

गीत सुंदर कांड के-2

जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 सागर करत हे लहर लहर, कोने जावे आघू डहर सागर करत हे लहर लहर, कोने जावे आघू डहर तोरे बिना हे बजरंग, होगे हवन हमन अधर कोने लावय सीता के खबर, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 मनावत कहत हवे जामवंत, उठव उठव गा हनुमंत मनावत कहत हवे जामवंत, उठव उठव गा हनुमंत तोरे असन तो ये जग मा, कहां हवय कोनो बलवंत बानर दल के हस तही कंत, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 बिसरे बल के कर ले सुरता, लइकापन के अपन बिरता बिसरे बल के कर ले सुरता, लइकापन के अपन बिरता अंग अंग मा तोरे भरे हे बल, जावव झन ये हा अबिरथा दे दे अब हमला धीरजा, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4

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