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संदेश

कतका झन देखे हें-

गुरूवर घासी दास के

गुरूवर घासी दास के, अंतस धर संदेश । झूठ लबारी छोड़ के, सच सच बोल ‘रमेश‘ ।। सच सच बोल ‘रमेश‘, आच सच ला ना आये । मनखे मनखे एक, बात गुरू बबा बताये । जहर-महूरा दारू, जुवा चित्ती हे फासी । अइसन चक्कर छोड़, कहे हे गुरूवर घासी ।।

मुखिया

होथे जस दाई ददा, होवय मुखिया नेक । गांव  राज्य  या देश के, मुखिया मुखिया एक । मुखिया के हर काम के, एक लक्ष्य तो होय । रहय मातहत हा बने, कोनो झन तो रोय ।। काम बुता मुखिया करय, जइसे भइसा ढोय । अपने घर परिवार बर, सुख के बीजा बोय ।। घुरवा कस मुखिया बनय, सहय ओ सबो झेल । फेके डारे चीज के, करय कदर अउ मेल ।। सोच समझ मुखिया बनव, गांव होय के देश । मुखिया मुॅंह कस होत हे, जेन मेटथे क्लेश ।।

मुखिया

ये मुखिया के नाम मा, मुखिया के सब भाव । मुॅह होथे जस देह मा, मुखिया ओही ठांव ।। मुखिया ओही ठांव, जिहां तो सबो थिराये । कुकुर बिलइ अउ गाय, सबो ला एके भाये ।। सुन लव कहे ‘रमेश‘, रहय मत कोनो दुखिया । जर होथे जस पेड़, होय संगी ये मुखिया ।।

माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी

माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन भात-बासी, दूध-दही सब खाथे-पीथे मुॅह हा, सबो अंग मा एक बराबर, ताकत जगाथे मुॅह हा। देह मा मुॅह हा होथे जइसन.... देह मा मुॅह हा होथे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन डारा-पाना, फर-फूलवा सब रूखवा के हरिआये खातू-माटी, पानी-पल्लो, जब बने जर मा पाये रूखवा के जर हा होथे जइसन.... रूखवा के जर हा होथे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन बघवा-भालू, साप-नेवला पानी पिये एक घाट मा गरीब-गुरबा, गौटिया-बड़हर एक लगे हे राम राज मा राजा मा राम हा होय हे जइसन... राजा मा राम हा होय हे जइसन माई मुडी ला होना चाही वइसन । माई मुड़ी, माई मुड़ी, माई मुडी माई मुडी ला होना चाही कइसन

आतंकी के धरम कहां होथे

मुक्तक बहर 222 212 1222 आतंकी के धरम कहां होथे । बहिया मन के करम कहां होथे ।। गोली मारव कुकर ल जब चाबय अइसन बेरा शरम कहां होथे ।। -रमेश चौहान

मनखे के बांटा

कांटा मा पांव परय के पांव मा परय कांटा चाहे तो डांट परय के गाल मा परय चांटा पथरा लोहा म करेजा के धधक कहां होथे पीरा अउ आंसु परय मनखे के रात दिन बांटा ।

अइसन शिक्षा नीति हे

अइसन शिक्षा नीति हे, नम्बर के सब खेल । नम्बर जादा लाय के, झेले लइका झेल ।। पढ़े लिखे ना ज्ञान बर, नम्बर के हे होड़ । अइसन सोच समाज के, बचपन लेवय तोड़ ।। पढ़े लिखे के बोझ मा, लदकाये हे जवान । पढ़े लिखे के नाम मा, कतका देवय जान ।। अव्वल आय के फेर मा, झेल सकय ना झेल । पढ़त पढ़त तो कई झन, करय मउत ले मेल ।। पढईया लइका सुनव, करहू मत तुम भूल । नम्बर  के ये फेर ला, देहूं झन तुम तूल ।।

दूसर के दरद मा रोना रोना होथे

आगी मा तिपे ले सोना सोना होथे । मन के सब मइल ला धोना धोना होथे । अपने के दरद मा जम्मा मनखे रोथे । दूसर के दरद मा रोना रोना होथे ।

अपन ददा के आज तै

तोरे सेती जेन हा, सहे रात दिन घाम । अपन ददा के आज तै, रखे डोकरा नाम । जर मा पानी छींच के, तोला झाड़ बनाय । पथरा मा मूरत असन, तोला जेन सजाय ।। आज ओखरे जीनगी, काबर हवे हराम । अपन ददा के आज तै... बर पीपर के छांव बन, देखे घर परिवार । खून छींच के आज तक, रखे जेन सम्हार । काम बुता ले ओखरे, सकला गे हे चाम ।। अपन ददा के आज तै... घूम घूम के खोज ले, ददे हे भगवान । ब्रम्हा कस ओ रचे, पाले बिष्णु समान ।। अइसन पालन हार के, कर सेवा के काम । अपन ददा के आज तै...

बैरी ला हम मारबो

फूॅक ले उड़ा जई अइसन धुररा नो हन । जाड़ मा जड़ा जई अइसन मुररा नो हन ।। हाथ मा कफन धरे बैरी ला हम मारबो । मौत ले डरा जई अइसन सुररा नो हन ।।

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