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संदेश

कतका झन देखे हें-

एक रहव न यार

दाई हमर आय । जेखर हमन जाय छत्तीसगढ़ मोर । देखव सब निटोर हे जंगल पहाड़ । कइसन कइसन झाड़ नदिया नहर धार । धनहा अउ कछार काजर असन कोल । काहेक अनमोल हीरा धर खदान । बइठे हन नदान माटी म धनवान। छत्तीसगढ़ जान लूटे बर ग आय । रूप अपन बनाय झोला अपन खांध । आये रहिन बांध आके ग परदेष  । ओमन करत एष मालिक असन होय । मही हमर बिलोय घी ला कहय मोर । बाकी बचत तोर बासी महिर खाय । हमन रहन भुलाय उन्खर गजब षोर । हमला रखय टोर मोर सुनव पुकार । एक रहव न यार रख अपन पहिचान । मान अपन परान जब रहब हम एक । लगबो सुघर नेक करबो अपन राज । बैरी मन ल मार

पेट के पूजा

पेट बर जीना । मौत रोजीना पेट भर खाना । जी भर कमाना पेट के चिंता । करथे मुनिंता कहां ले पाबे । कइसे कमाबे जब जनम पाये । दाई पियाये दूध म अघाये । पिये बउराये थोरकुन बाढ़े । अॅंगना म माढ़े मुॅह ला जुठारे ।  दाई सवारे खाई खजेना । हाथ भर लेना ददा जब देथे । गोदी म लेथे लइका कहाये । खेल म भुलाये कई घा खाये । घूमत पहाये कभू ना सोचे । पेट भर नोचे काखर भरोसा । पांचे परोसा आये जवानी । परे हैरानी ददा अउ दाई । मांगे कमाई काम ला खोजे । दिन रात रोजे पर के सपेटा । खाये चपेटा तभे तो जाने । सब ल पहिचाने काम ले कोने । बड़े हे जोने जब घर बसाये । स्वामी कहाये दिन रात फेरे । जांगर ल पेरे पेट के सेती । करे तैं खेती परिवार पोशे । करम ना कोसे बेरा पहागे । जांगर सिरागे डोकरा खासे । छोकरा हासे बहू अउ बेटा । लगय गरकेटा पेट हे खाली । टूरा मवाली मरे के पारी । लोटा न थारी पेट के पूजा । करे ना दूजा

कहमुकरिया

1. जेखर आघू  मा मैं जाके । देखंव अपने रूप लजा के । अपने तन ला करके अर्पण । का सखि ? जोही ।़ नहि रे दर्पण । 2. जेखर खुषबू तन मन छाये । जेला पा के मन हरियाये । मगन करय ओ, जेखर रूआब का सखि ? जोही ।़ नहि रे गुलाब । 3. तोर मांग सब पूरा करहू। कहय जेन हा बिपत ल हरहू । कर न सकय कुछु, बने चहेता का सखि ? जोही ।़ नहि रे नेता ।

टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के

नायक - गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । फूल बुटा बनवाय हंव, गोरी तोरे नाम के ।। नायिका- टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । खोर गिंजरा सेखिया, नई हवस कुछु काम के ।। नायक- तैं डारे हस मोहनी, मुखड़ा ला देखाय के । होगे तैं दिल जोगनी, दिल म मया जगाय के । तोर मया ला पाय बर, घूट पियें बदनाम  के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- रूप रंग ला तैं अपन, दरपन धर के देख ले । आधा चुन्दी ठेकला, गाल दिखे हे पेच ले । कोने तोला भाय हे, फूल कहे गुलफाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । नायक- तोरे मुॅह ला देख के, चंदा लुकाय लाज मा । मुच मुच हॉसी तोर ओ, भगरे हे सब साज मा । तैं मोरे दिल मा बसे, जइसे राधा ष्याम के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- काबर तैं घूमत हवस, पढ़ई लिखई छोड़ के । आथस काबर ये गली, अइसन नाता जोर के । धरे मया के भूत हे, तोला मोरे नाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के ।

सोच

हवय भोर अउ सांझ मा, एक सुरूज के जात । बेरा ऊये मा दिन चढ़य, बेरा बुड़े म रात । सुघ्घर घिनहा सोच हा, बसे हवे मन तोर । घिनहा घिनहा सोच के, जाथस तैं हा मात ।।

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