सड़क पैयडगरी दुनो गोठ करत हें आज लाखों मोटर-गाड़ी मनखे आके मोर दुवारी सुनव पैयडगरी, करत हवँय दिन भर तोरे चारी सड़क मुछा मा ताव दे करत हवय बड़ नाज मुच-मुच मुस्काय पैयडगरी सुन-सुन गोठ लमेरा आँखी रहिके अंधरा हवय बनके तोरे चेरा (चेरा-चेला) मनखे-मनखे के मुड़ म कोन गिराथे गाज मोर दोष कहां हवय येमा अपने अपन म जाथें आघू-पाछू देखय नहि अउ आँखी मूंद झपाथें मखमल के गद्दा धरे डारे हंव मैं साज करिया हे रूप-रंग तोरे करिया धुँआ पियाथस चिर-चिर मनखे के तैं छाती अपन ल बने बताथस कहय हवा पानी सबो आय न तोला लाज पटर-पटर करत हवस तैं हा अपन ल नई बताये रेंगा-रेंगा के मनखे ला तैं हा बहुत थकाये दर्रा भरका के फुटे काखर करे लिहाज महर-महर पुरवाही धरके अपन संग रेंगाथंव देह-पान बने रहय उन्खर अइसन मन सिरजाथंव हाथ-गोड़ मनखे धरे करंय थोरको काज
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले