तोर मया ला पाके मोर करेजा मा धड़कन फेरे जागे तोर बिना रे जोही सुन्ना हे अँगना जिनगी के का होही देत मिले बर किरया मन मा तैं बइठे तैं हस कहां दूरिहा जिनगी के हर दुख मा ये मन ह थिराथे तोर मया के रूख मा सपना देखय आँखी तीर म मन मोरे जावंव खोले पाँखी
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले