अब आघू बढ़ही, छत्तीसगढ़ी, अइसे तो लागत हे । बहुत करमचारी, अउ अधिकारी, येला तो बाखत हे ।। फेरे अपने मन, लाठी कस तन, खिचरी ला रांधत हे । आके झासा मा, ये भाषा मा, आने ला सांधत हें ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले