अपने घर मा खोजत हावे, कोनो एक ठिकाना । छत्तीसगढ़ी भाखा रोवय, थोकिन संग थिराना ।। सगा मनन घरोधिया होगे, घर के मन परदेशी । पाके आमा निमुवा होगे, निमुवा गुरतुर देशी ।। अपने घर के नोनी-बाबू, आने भाषा बोलय । भूत-प्रेत के छांव लगे कस, पर के धुन मा डोलय ।। अपन ठेकवा मा लाज लगय, पर के भाये दोना । दूध कसेली धरय न कोनो, करिया लागय सोना ।। सरग म मनखे कबतक रहिही, कभू त आही नीचे । मनखे के जर धरती मा हे, लेही ओला खीचे ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
-
‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले