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संदेश

कतका झन देखे हें-

अपने घर मा खोजत हावे, कोनो एक ठिकाना

अपने घर मा खोजत हावे, कोनो एक ठिकाना । छत्तीसगढ़ी भाखा रोवय, थोकिन संग थिराना ।। सगा मनन घरोधिया होगे, घर के मन परदेशी । पाके आमा निमुवा होगे, निमुवा गुरतुर देशी ।। अपने घर के नोनी-बाबू, आने भाषा बोलय । भूत-प्रेत के छांव लगे कस, पर के धुन मा डोलय ।। अपन ठेकवा मा लाज लगय, पर के भाये दोना । दूध कसेली धरय न कोनो, करिया लागय सोना ।। सरग म मनखे कबतक रहिही, कभू त आही नीचे । मनखे के जर धरती मा हे, लेही ओला खीचे ।।

आँखी म निंदिया आवत नई हे

तोर बिना रे जोही आँखी म निंदिया आवत नई हे ऊबुक-चुबुक मनुवा करे सुरता के दहरा मा आँखी-आँखी रतिहा पहागे तोर मया के पहरा मा चम्मा-चमेली सेज-सुपेती मोला एको भावत नई हे तोर बिना रे जोही आँखी म निंदिया आवत नई हे मोर ओठ के दमकत रंग ह लाली ले कारी होगे आँखी के छलकत आंसू काजर ले भारी होगे अइसे पीरा देस रे छलिया छाती के पीरा जावत नई हे तोर बिना रे जोही आँखी म निंदिया आवत नई हे आनी-बानी सपना के बादर चारो कोती छाये हे तोरे मोहनी काया के फोटू घेरी-बेरी बनाये हे छाती म आगी दहकत हे बैरी पिरोहिल आवत नई हे तोर बिना रे जोही आँखी म निंदिया आवत नई हे

जनउला-दोहा

चित्र गुगल से साभार जनउला 1. हाड़ा गोड़ा हे नही, अँगुरी बिन हे बाँह । पोटारय ओ देह ला, जानव संगी काँह ।। 2. कउवा कस करिया हवय, ढेरा आटे डोर । फुदक-फुदक के पीठ मा, खेलय कोरे कोर ।। 3. पैरा पिकरी रूप के, कई कई हे रंग । गरमी अउ बरसात मा, रहिथे मनखे संग ।। 4. चारा चरय न खाय कुछु, पीथे भर ओ चॅूस । करिया झाड़ी मा रहय, कोरी खइखा ठूॅस ।। 5. संग म रहिथे रात दिन, जिनगी बनके तोर । दिखय न आँखी कोखरो, तब ले ओखर सोर ।। 6. हाथ उठा के कान धर, लहक-लहक के बोल । मया खड़े  परदेश  मा, बोले अंतस खोल ।। 7. बिन मुँह के ओ बोलथे, दुनियाभर के गोठ । रोज बिहनिया सज सवँर, घर-घर आथे पोठ ।। 8. मैं लकड़ी  कस डांड अंव, खंड़-खंड़ मोरे पेट । रांधे साग चिचोर ले, देके मोला रेट ।। 9. खीर बना या चाय रे, मोर बिना बेकार । तोरे मुँह के स्वाद अंव, मोरे नाव बिचार ।। 10. मोरे पत्ता फूल फर, आय साग के काम । मै तो रटहा पेड़ हंव, का हे मोरे नाम ।। 11. फरय न फूलय जान ले, पत्ता भर ले काम । जेखर बहुते शान हे, का हे ओखर नाम ।। 12.  नॉंगर-बइला हे नहीं, तभो जोतथे खेत । घंटा भ

मोर ददा के छठ्ठी हे

मोर ददा के छठ्ठी हे, नेवता हे झारा-झारा कथा के साधु बनिया जइसे मोर बबा बिसरावत गे आजे-काले करहू कहि-कहि ददा के छठ्ठी भूलावत गे सपना बबा ह देखत रहिगे टूटगे जीनगी के तारा नवा जमाना के नवा चलन हे बाबू मोरे मानव मोर जीनगी ये सपना ल अपने तुमन जानव घेरी-घेरी सपना म आके बबा गोठ करय पिआरा बबा के सपना मैं ह एक दिन ददा ले जाके कहेंव ददा के मुह ल ताकत-ताकत उत्तर जोहत रहेंव सन खाये पटुवा म अभरे चेहरा म बजगे बारा बड़ सोच-बिचार के ददा मुच-मुच बड़ हाँसिस मुड़ डोलावत-डोलवत बबा के सपना म फासिस पुरखा के सपना पूरा करव बेटा मोर दुलारा छै दिन के छठ्ठी ह जब होथे महिनो बाद पचास बसर के लइका होके देखंव येखर स्वाद छठ्ठी के काय रखे हे जब जागव भिनसारा

चल चिरईया नवा बसेरा

//चौपाई छंद// बेटी मुड मा मउर पहीरे । सोच धरे हे  घात गहीरे अपने अंतस सोचत जावय । मुँह ले बोली एक न आवय चल चिरईया नवा बसेरा । अपन करम ला धरे पसेरा पर ला अब अपने हे करना । मया प्रीत ला ओली भरना कइसे सपना देखव आँखी । मइके मा बंधे हे पाँखी रीत जगत के एके हावय । मइके छोड़े ससुरे भावय मोर भाग हा ओखर हाथ म । जीना मरना जेखर साथ म दाना-पानी संगे खाबो । अपन खोंधरा हम सिरजाबो सास-ससुर हा देवी-देवा । मंदिर जइसे करबो सेवा दूनों हाथ म बजही ताली । नो हय ये हा सपना खाली धुरी सृष्टि के जेला कहिथे । जेखर बर सब जीथे मरथे मृत्यु लोक के हम चिरईया । सुख-दुख के केवल सहईया

मैं भौरा होगेंव ओ.... (करमा गीत)

//करमा गीत// नायक- मैं भौरा होगेंव ओ....., मैं भौरा होगेंव न, तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न । नायिका- मैं चिरइया होगेंव गा...., मैं चिरइया होगेंव न, तोर मया बदरवा, मैं चिरइया होगेंव न तोर मया बदरवा, मैं चिरइया होगेंव न। नायक- फूल पतिया कस, गाल लाली-लाली... ओठ जइसे मधुरस ले, भरे कोनो थारी नायिका- तोर बहिया पलना, झूलना कस लागे.. तोर मया के पुरवाही, तन-मन मा छागे नायक- मैं भौरा होगेंव ओ....., मैं भौरा होगेंव न, तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न । नायिका- मैं चिरइया होगेंव गा...., मैं चिरइया होगेंव न, तोर मया बदरवा, मैं चिरइया होगेंव न तोर मया बदरवा, मैं चिरइया होगेंव न। नायक- फूल कस ममहावय, मुच-मुच हाँसी .... अरझ के रहि जाये, जीयरा करे फासी नायिका- तोर मया के रंग, बदरा कस लागे देखे बर तोला रे, मन म पाखी जागे नायक- मैं भौरा होगेंव ओ....., मैं भौरा होगेंव न, तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न तोर मया ह फूलवा, मन भौरा होगेंव न । नायिका- मैं चिरइया होगेंव गा...., मैं चिरइया होगे

जिया म जगाये अनुराग (करमा गीत)

//करमा  गीत// नयिका- जमुना कछार कदम डार, छेड़े मया के राग कान्हा मुरली बजा के, -2 तन-मन मोहनी डार, जिया म जगाये अनुराग नायक- बाजत गैरी बोलत पैरी, मेटे हे बैराग राधा हँस मुस्का के-2 नैना म नैना डार, जिया म जगाये अनुराग नायक- छलछल जमुना के पानी जइसे बानी आँखी तोरे छलकाये बोली तोर गुरतुर गुरतुर अमरित नैन मया उपजाये तैं मया के पराग, मोर बंषी के राग जोड़े अंतस के ताग, जिया म जगाये अनुराग नायिका- मया के हे मूरत, कान्हा तोरे सूरत देखते मदन मर जाये जस कमल के पाती, पानी रहय न थाती मोह बिन मया सिरजाये काम रखे न पाग, प्रीत के तही सुहाग जगा के मोरे भाग, जिया म जगाये अनुराग नयिका- जमुना कछार कदम डार, छेड़े मया के राग कान्हा मुरली बजा के -2 तन-मन मोहनी डार, जिया म जगाये अनुराग नायक- बाजत गैरी बोलत पैरी, मेटे हे बैराग राधा हँस मुस्का के-2 नैना म नैना डार, जिया म जगाये अनुराग

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