डोहारत-डोहारत, घर भर बर पानी मोरे कनिहा-कुबर, दाई टूटत हवे । खावब-पीयब अउ, रांधब-गढ़ब संग बाहिर-बट्टा होय ले, प्राण छूटत हवे ।। डोकरा-डोकरी संग, लइका मन घलोक घर म नहाबो कहि कहि पदोवत हे। कइसे कहंव दाई, नाम सफाई के धरे शौचालय बैरी हा, दुखवा बोवत हे ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले