भाखा गुरतुर बोल तै, जेन सबो ल सुहाय । छत्तीसगढ़ी मन भरे, भाव बने फरिआय ।। भाव बने फरिआय, लगय हित-मीत समागे । बगरावव संसार, गीत तै सुघ्घर गाके । झन गावव अश्लील, बेच के तै तो पागा । अपन मान सम्मान, ददा दाई ये भाखा ।।
हम छत्तीसगढिया हावन-सुरेन्द्र अग्निहोत्री”आगी”
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हम छत्तीसगढिया हावनहम सबले बढिया हावनहम बासी चटनी खाथनअउ जांगर तोड कमाथनछल
कपट ल हम नई जाननसब ल अपनेच हम मानन सागर म जस नदिया समाएसब झन ह मन म
हमाएनहीं बैर...
12 घंटे पहले