डगर मा पांव अउ मंजिल मा आँखी होवय । सरग ला पाय बर तोरे मन पाँखी होवय ।। कले चुप हाथ धर के बइठे मा का होही । बुता अउ काम हा तुहरे अब साँखी होवय ।।
दत्त, दयाध्वं और दम्यत ही क्यों?-डॉ. अर्जुन दुबे
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-डॉ. अर्जुन दुबेअंग्रेजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर,मदन मोहन मालवीय
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,गोरखपुर (यू.पी.) 273010भारतफोन. 9450886113
बीसवीं शताब्दी के मह...
20 घंटे पहले