डगर मा पांव अउ मंजिल मा आँखी होवय ।  सरग ला पाय बर तोरे मन पाँखी होवय ।।  कले चुप हाथ धर के बइठे मा का होही ।  बुता अउ काम हा तुहरे अब साँखी होवय ।।     
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
1 दिन पहले
