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कतका झन देखे हें-

धरे उदासी बोलय जमुना घाट

धरे उदासी बोलय जमुना घाट । कती हवय अब छलिया तोरे बाट ।। नाग कालिया कई-कई ठन आज । मोरे पानी मा करत हवय राज ।। कहां लुका गे बासुरीवाला मोर । कहां लुका गे तैं मोहन चितचोर ।। घाट घठौंदा मोर भटत हे जात । काबर अब तैं इहां नई तो आत ।।

पइसा (जोगी रा-सा-ररा-रा)

जोगी रा सा रा रा जोगी रा सा रा रा पइसा पूजा पाठ कहाथे, पइसा हा भगवान । पइसा हरियर-हरियर चारा, चरत हवय इंसान ।।जोगी रा सा रा रा पइसा ले डौकी लइका हे, पइसा ले परिवार । पइसे ले दुनिया हे तोरे, पइसा बिन बेकार ।।जोगी रा सा रा रा मइल हाथ के पइसा होथे, कहि-कहि मरय सियान । बात समझ ना पाइस लइका, मारत रहिगे शान ।।जोगी रा सा रा रा कान-बुता मा घोर पसीना, पइसा आही हाथ । करे करम के पूजा-पाठे, मिलय भाग्य के साथ ।।जोगी रा सा रा रा फोकट मा सरकार बांटथे, अपन करे बर नाम । लूट छूट के रीत छोड़ दे, हमला चाही काम ।।जोगी रा सा रा रा

ददा (भुजंगप्रयात छंद, अतुकांत)

कहां देवता हे इहां कोन जाने । न जाने दिखे ओ ह कोने प्रकारे ।। इहां देवता हा करे का बुता हे । सबो प्रश्न के तो जवाबे ददा हे ।। ददा मोरे ब्रम्हा देह मोरे बनाये । मुँहे डार कौरा ददा बिष्णु मोरे ।। शिवे होय के दोष ला मोर मांजे । ददा हा धरा के त्रिदेवा कहाये ।। कभू देख पाये न आँसू ल मोरे । मने मोर चाहे जऊने ददा दै ।। खुदे के मने ला ददा हा दबाये । जिये हे मरे हे ददा मोर सेती ।। भरे हाथ कोरा  दिने रात मोला । खुदे संग खवाये धरे हाथ कौरा ।। खुदे पीठ चढ़ाये ददा होय घोड़ा । धरे हाथ संगी बने हे ददा हा  ।।

मया(भुजंगप्रयात छंद, अतुकांत)

                मया (भुजंगप्रयात छंद, अतुकांत) कहां देह के थोरको मोल होथे । मया के बिना देह हाड़ा निगोड़ा ।। मया के मया ले मया देह होगे । मया साँस मोरे मया प्राण मोरे ।। करे हे मया हा मया मा मया रे । मया के मया मा महूँ हा मया गा ।। मया ला मया ले करे मैं निहोरा । मया धार ड़ोंगा मया ड़ोंगहारे ।। मया मोर बोली मया मोर हाँसी । मया भूख मोरे मया प्यास मोरे ।। मया भूख के तो मया हा चबेना । पियासे मया के मया मोर पानी ।। मया मोर आँखी मया मोर काने । मया हाथ मोरे मया गोड़ मोरे ।। मया साँस मोरे मया हे करेजा । मया जिंदगानी मया मुक्ति रद्दा ।।

पइसा के पाछू बइहा झन तो होव

पइसे के पाछू कभू, बइहा झन तो होव । चलय हमर परिवार हा, अतका धाने बोव । अतका धाने, बोव सबो झन,  भूख मरी मत । पइसा पाछू, होके बइहा, हम अति करि मत ।। दुनिया ले तो, हमला जाना, नगरा जइसे । आखिर बेरा, काम न आवय, तोरे पइसे ।।

करना चाही

करना चाही सब कहे, करथे के झन देख । नियम-धियम सिद्धांत मा, खोजत हे मिन-मेख ।। खोजत हे मिन-मेख इहां सब, जी चोराये । चलत हवय जब, चंदा-सूरज, सब बंधाये ।। चिरई-चिरगुन, मानत हावे, हाही-माही । सोचत हावे, कहि-कहि मनखे, करना चाही ।

आगी झन बारँव इहां

आगी झन बारँव इहाँ, इहाँ सरग के ठाँव । छत्तीसगढ़ नाम हवय, सरग दुवारी छाँव ।। सरग दुवारी, छाँव निहारत, दुनिया आथे । आथे जेने,  इही ठउर मा, बड़ सुख पाथे । हमरे माटी, चुपरय छाती, कहि पालागी । अपन पराया,  कहि कहि के झन, बारँव आगी ।।

एक दर्जन दोहा

1. दोष निकालब कोखरो, सबले सस्ता काम । अपन दोष ला देखना, जग के दुश्कर काम ।। 2. अपन हाथ के मइल तो, नेता मन ला जान । नेता मन के खोट ला, अपने तैं हा मान ।। 3. मुगल आंग्ल मन भाग गे, भागे ना वो सोच । संस्कृति अउ संस्कार मा, करथें रोज खरोच ।। 4. अपन देश के बात ला, धरे न शिक्षा नीति । लोकतंत्र के राज मा, हे अंग्रेजी रीति । 5. कोनो फोकट मा घला, गाय रखय ना आज । गाय ल माता जे कहय, आय न ओला लाज ।। 6. पानी चाही काल बर, तरिया कुँआ बचाव । बोर खने के सोच मा, तारा अभे लगाव ।। 7. तरिया नरवा गाँव के, गंदा हावे आज । पानी बचाव योजना, मरत हवे गा लाज ।। 8. रद्दा पूछत मैं थकँव, पता बतावय कोन । लइका हे ये शहरिया, चुप्पा देखय मोन । । 9. बाबू मोरे कम पढ़े, कइसे होय बिहाव । नोनी मन जादा पढ़े, बहू कहां ले आय ।। 10. सीख सबो झन बाँटथे, धरय न कोनो कान । गोठ आन के छोट हे, अपने भर ला मान ।। 11. दारु बोकरा आज तो, ठाढ़ सरग के धाम । खीर पुरी ला छोड़ तैं, ओखर ले का काम ।। 12. काम नाम ला हे गढ़े, नाम गढ़े ना काम । काम बुता ले काम हे, परे रहन दे नाम ।।

हाथ बर कामे मांगव

मांगय अब सरकार ले, केवल हाथ म काम । येमा-वोमा छूट ले, हमर चलय ना काम । हमर चलय ना काम, हाथ होवय जब खाली । बिना बुता अउ काम, हमर हालत हे माली ।। सुनलव कहय रमेश, कटोरा खूंटी टांगव । छोड़व फोकट छूट, हाथ बर कामे मांगव ।।

नई चाही कुछ फोकट

फोकट मा तो  खाय बर, छोड़व यार मितान । हमर आड़ मा देश के, होत हवय नुकसान ।। होत हवय नुकसान, देश के नेता मन ले । फोकट के हर एक, योजना ला तैं गन ले ।। देथें पइसा चार, हजारों खाथें टोकत । हमला चाही काम, नई चाही कुछ फोकट ।।

अइसे कोनो रद्दा खोजव, जुरमिल रेंगी साथ

मोटर गाड़ी के आए ले, घोड़ा दिखय न एक । मनखे केवल अपन बाढ़ ला, समझत हावे नेक ।। जोते-फांदे अब टेक्टर मा, नांगर गे नंदाय । बइला-भइसा कोन पोसही, काला गाय ह भाय ।। खातू-माटी अतका डारे, चिरई मन नंदात । खेत-खार मा महुरा डारे, अपने करे अघात ।। आघू हमला बढ़ना हावे, केवल धरे मशीन । मन मा अइसन सोच रहे ले, धरती जाही छीन ।। जीव एक दूसर के साथी, रचे हवय भगवान । मनखे एखर संरक्षक हे, सबले बड़े महान ।। बड़े मनन घुरवा होथे, कहिथे मनखे जात । झेल झपेटा जेने सहिथे, मांगय नही भात ।। अइसे कोनो रद्दा खोजव, जुरमिल रेंगी साथ । जीव पोसवा घर के बाचय, धर के हमरे हाथ ।।

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