आज स्कूल के टूर मा, घूमेन ठउर पांच । कौशिल्या मां ठउर ले, घूचापाली सांच । राजिम चम्पारण ठउर, खल्लारी तो गेन। संग संगवारी चारझन, खूब मज़ा तो लें । कौशिल्या माता राम के, भाचा हमरे राम । चंदखुरी सुघ्घर गांव से, जे कौशिल्या धाम ।। राजीव लोचन झरझर, महानदी के धार । पैरी सोढुर के मेल ले, हरय पाप ला झार ।। जगन्नाथ के रुप हे, ये लोचन राजीव । दरस परस जब करें हन, होंगे भक्ति संजीव । चंपारण वल्लभ प्रगट, गढ़े भक्ति के धाम । श्याम श्याम मन श्याम भज, जो एकै आधार । खल्लारी माता धाम मा, सीढ़ी बने हजार । जय माता जयकार ले, मन हा भरे हमारे ।। घूचापाली मां हवय, मां चण्डी दरबार । जिहां करें हे आरती, भालू जंगल कार ।। मजा खूब हमला मिलिस, सब संगवारी संग । खूब घूमेन जुरमिल हम , मन मा रहिस उमंग ।
तोर-मोर माया घोर हे, न ओर हे ना छोर । तोर ह तो तोरे हवय, अउ मोरे हा मोर ।। कोनो ला माने अपन, हो जाही ओ तोर। घर के खपरा ला घला, कहिथस तैं हा मोर ।। मोर कहे मा मोर हे, तोर कहे मा तोर। मया मोर मा हे घुरे, तोर कहे ला छोर।। ना जान न पहिचान हे, तब तक तैं अनजान। माने तैं ओला अपन, होगे तोर परान ।। माने मा पथरा घला, हवय देवता तोर । लकड़ी के खम्भा घला, हवय देवता मोर ।। मन के माने मान ले, माने मा सब तोर । तोर-मोर ला छोड़ के, कहि ना सब ला मोर ।।