दरस-परस बर हम आयेंन, मन के मनौती ल पायेंन सिहोर के दरस पायेंन, कुबरेश्वर के सरस पायेंन । कंकर-कंकर शिव के आशीष संग लायेंन ।। नलखेड़ा के परस कर आयेंन, तंत्र-मंत्र देख-सुन आयेंन दाई के दया अपन झोली भर लायेंन । महाकाल के अवंतिका, क्षीप्रा के रामघाट, कर अंजन स्नाना, तन-मन धो आयेंन । माघे पुन्नी कथा कर आयेंन शिव शंभू संग रमापति ल रिझायेंन ।। महाकाल, कालभैरव मंगलनाथ गढ़कालिका हरसिद्धि चिंताहरण गनराज कृष्ण गुरुकुल के दरशन पायेंन। राम के चमत्कार ओरछा के रामराजा राजा राम रामराजा के दरस पायेंन। दतिया के मां पिताम्बरा धूमावती शांत सरल साक्षात मां के आभा पायेंन। बागेश्वर धाम के बाबा संन्यासी रामभक्त हनुमंत विकट राशि लखर भक्त अलबेला देख आयेंन हनुमान लला के कृपा पायेंन । हजार सिढ़िया के चढ़ाई चढ़ आयेंन महैर के शारद माई के मया धर आयेंन ।।
मनखे के सुभाव मोर तोर तोर मोर पोर पोर हे घुरे मोर तोर तोर मोर के सुभाव हा चुरे लोभ मोह लोक लाज छोड़ तान अड़े खोर खोर के गली गली ल छेक तैं खड़े