पारंपरिक फागगीत
चलो हां यशोदा धीरे झुला दे पालना
चलो हो यशोदा धीरे झुला दे पालना
तोर ललना उचक न जाय ।।टेक।।
चलो हां यशोदा काहेन के पालना बनो है,
तोर काहेन लागे डोर ।।1।।
चलो हां यशोदा चंदन, काट पालना बनो हैं
तोर रेशम लोग डोर ।।2।।
चलो हां कदम तरी ठाढ़े भिजगै श्यामरो
चलो हां कदम तरी ठाढ़े भिजगै श्यामरो
केशर के उड़ै बहार ।।टेक।।
चलो हां कदम तरी कै मन के सरगारो हे,
कै मन उडै गुलाल ।।1।।
चलो हां कदम तरी नौ मन के सरगारो हे,
दस मन उडै गुलाल ।।2।।
चलो हां राधा तोर चुनरी के कारन मे
चलो हां राधा तोर चुनरी के कारन मे
कन्हैया ने हो गई चोर ।।टेक।।
चलो हां राधा कोन महल चोरी भयो है,
तोर कोन महल भई लुट ।।1।।
चलो हां राधा रंग महल चोरी भयो है,
तोर शीश महल भई लुट ।।2।।
चलो हां अर्जुन मारो बाण तुम गहि गहि के
चलो हां अर्जुन मारो बाण तुम गहि गहि के,
रथ हाके श्रीभगवान ।।टेक।।
चलो हां अर्जुन कै मारै कै घायल है,
कै परे सगर मैदान ।।1।।
चलो हां अर्जुन नौ मारे दस घायल है,
कई परे सगर मैदान ।।2।।
चलो हां राम दल घेर लियो लंका को
चलो हां राम दल घेर लियो लंका को,
लंका के दसो द्वार ।। टेक।।
चलो हां राम दल काहने के लंका बने हैं,
काहेन लगे किवाड़ ।।1।।
चलो हां राम दल सोनन के लंका बने हैं
चंदन लगे किवाड़ ।।2।।
सौजन्य- पारंपरिक होली गीत संग्रह, संग्रहकर्ता-रामनाथ ध्रुव
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