बोरे-बासी छोड़ के, अदर-कचर तैं खात । दूध-दही ला छोड़ के, भठ्ठी कोती जात ।। भठ्ठी कोती जात, धरे चखना तैं बोजे । नो हय कभूू कभार, होत रहिथे ये रोजे । सुन तो अरे रमेश, काम ए सत्यानाशी । सुनस नहीं कुछ गोठ, खाय बर बोरे-बासी ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले