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कतका झन देखे हें-

मोर छत्तीसगढ़ के नारी

     मोर छत्तीसगढ़ के नारी । दया मया के हे चिन्हारी     नारी तो परिवार बनाथे । जेखर ले घर कुरिया भाथे        बेटी दुलौरीन मइके के  । बहू लाजवंती ससुरे के     पति के ओ हर परम पियारी । नोनी बाबू के महतारी     पग पग मा पति ला सम्हारय । लइका मन बर जिनगी हारय     सास ससुर के जतन बजावय । नाता दारी सबो निभावय     सुत उठ के बड़े बिहनिया । महतारी अउ बेटी धनिया     छर्रा छिटा गली मा देवय । जब गोबर कचरा कर लेवय     बहरय बटोरय लिपय कुरिया । बरतन भड़वा मांजय करिया     तब रांधय गढ़य बने जेवन । खवा पिया लय त खाय एमन     सबो काम बूता ओ करथे । घर के लक्ष्मी कोठी भरथे     भीतर बाहिर बूता करथे । देख काम टूरा मन जरथे     खेतहारिन ह खेत कमाथे । बनिहारिन दू पैसा लाथे     मास्टरिन बने हे बहुते झन । डाक्टरिन घला हे ऐही मन     हवे कलेक्टर अउ इंजिनियर । इखरे ले देष बने हरियर     करय मरद जउन जउन बूता । नारी मन घला करय बहुता     एमन चाहे कुछु काम करय । घर परिवारे बर जियय मरय     त्याग तपस्या इखरे भारी  । तब कहाय एमन महतारी

मोर मयारू गणेश

मोर मयारू गणेश दोहा सबले पहिले होय ना, गणपति पूजा तोर । पाँव परत हंँव तोर गा, विनती सुन ले मोर ।। तोर शरण मा आया जे, ले श्रद्धा विश्वास । पूरा कर देथस सबो, उनखर जम्मो आस ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे प्रभु  तैं हस दीन  दयाला सबले पहिली तोला सुमरन । तोरे गुण ला गा के  झुमरन बुद्धि तहीं हा सब ला देथस। दुख पीरा ला हर लेथस तोरे जस ला वेदे गावय । भारी महिमा तोर बतावय पहिली चक्कर तैं हा काटे ।  अपन ददा दाई के बांटे तोर काम ले गदगद भोला । बना दिइस गा गणेश तोला तोर नाम ले मुहरूत करथन । जीत खुशी ला ओली भरथन काम-बुता सब सुग्घर होथे । हमरे बाधा मुँड़ धर रोथे जइसन लम्बा सूड़े तोरे । लम्बा कर दव चिंतन मोरे जइसन भारी पेटे तोरे । भारी कर दव विचार मोरे भाथे गौरी दुलार  तोला । ओइसने दव दुलार मोला गुरूतुर मोदक भाये तोला । मीठ मीठ भाखा दे दव मोला हे लंबोदर किरपा करदव । गलत सोच ला झट्टे हरदव मनखे ला मनखे हम मानी । जगत जीव ला एके जानी हे आखर के मोर देवता । मानव-मानव मोर नेवता नाश करव प्रभु मोर कुमति के । अन्न-धन्न दौ देव सुमति के अपने पुरखा अउ माटी के । अपने जंगल अउ

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