तोर गुस्सा तोर आगी, करय तोला खाक । तोर मन हा बरत रहिही, देह होही राख ।। सोच संगी फायदा का, आन के अउ तोर । हाथ दूनो रोज उलचव, मया मन मा जोर ।। -रमेश चौहान
“बाबा विश्वैश्वर नाथ की महिमा”-अर्जुन दूबे
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(उपरोक्तत आलेख मान्यता के आधार पर मेरे गांव के गाँव के ब्रह्मलीन बाबा
विश्वैश्वर नाथ के प्रति सम्मान सहित संस्मरण है।-प्रोफेसर अर्जुन दूबे) मैं
जिसकी महिमा...
2 हफ़्ते पहले