छोड़ अलाली जाग तैं, होगे हवय बिहान । चढ़त जात हे गा सुरूज, देख निहार मितान ।। देख निहार मितान, डोहड़ी घला फूलगे । चिरई चिरगुन बोल, हवा मा कइसे मिलगे । हवा लगत हे नीक, नीक हे बादर लाली । उत्ती बेरा देख, जाग तैं छोड़ अलाली ।। कुकरा हा भिनसार के, बोलत हे गा बोल । जाग कुकरू कू जाग तैं, अपन निंद ला खोल ।। अपन निंद ला खोल, छोड़ खटिया पलंग गा । घूमव जाके खार, बनव संगी मतंग गा ।। कर लव कुछु व्यायाम, बात ला झन तो ठुकरा । घेरी घेरी बेर, कुकरू कू बोलत कुकरा ।। पुरवाही सुघ्घर चलत, गुदगुदात हे देह । तन मन पाये ताजगी, जेन करे हे नेह ।। जेन करे हे नेह, बिहनिया ले जागे हे । खुल्ला जगह म घूम, हवा ला जे पागे हे ।। धरती के सिंगार, सबो के मन ला भाही । उठ तैं भिनसार, चलत सुघ्घर पुरवाही ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
3 दिन पहले