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कतका झन देखे हें-

लहर लहर लहराये मइया, तोरे जोत जंवारा

लहर लहर लहराये मइया, तोरे जोत जंवारा । तोरे जोत जंवारा, हो मइया, तोरे जोत जंवारा ।। अम्मावस के भींजे बिरही, मइया ला परघाये । मान मनौती एकम के सब, घी ले जोत जलाये । तोर रूप बिरवा मा आये, जग के होय सहारा । जग के होय सहारा, हो मइया, जग के होय सहारा लहर लहर लहराये मइया, तोरे जोत जंवारा । तोरे जोत जंवारा, हो मइया, तोरे जोत जंवारा ।। भगतन के श्रद्धा ले बिरवा, हाॅसत बाढ़त जावय देव लोक ले देवन आये, तोरे जस ला गावय ।। नव दिन नव राते ले मइया, होय तोर जयकारा । होय तोर जयकारा, हो मइया, होय तोर जयकारा लहर लहर लहराये मइया, तोरे जोत जंवारा । तोरे जोत जंवारा, हो मइया, तोरे जोत जंवारा ।।

लगत जेठ कस चइत हा

लगत जेठ कस चइत हा, कइसन घाम जनाय । अइसे कइसे होत हे, कोने आज बताय ।। बड़े बिहनिया देख तो, हे चर चर ले घाम । गरम गरम लागे हवा, कइसे करबो काम । हवय काम कोठार मा, बैरी घाम सताय ।। लगत जेठ कस चइत हा... तरिया नरवा अउ कुॅवा, बइठे हे बिन काम । बंद होत हे बोर हा, छोड़े अपने नाम ।। चिरई चिरगुन चीं चीं करत, पानी बर चिल्लाय ।। लगत जेठ कस चइत हा.... मनखे मनखे सोच लव, काबर पीरा झार । बेजा कब्जा मा फसे, तरिया नरवा पार । काट काट के पेड़ ला, अपने खेत बढ़ाय । लगत जेठ कस चइत हा... लालच मा मनखे फसे, रोके नदिया धार । अपने घर के गंदगी, तरिया नरवा डार ।। छेदे धरती के पेट ला, मनखे नई अघाय । लगत जेठ कस चइत हा...

मैं पगला तैं पगली होगे (युगल गीत)

नायक- मैं पगला तैं पगली होगे, बोले ना कुछु बैना । ठाढ़े ठाढ़े देखत रहिगे, गोठ करे जब नैना । नयिका- मैं पगली तैं पगला होगे, बोले ना कुछु  बैना । ठाढ़े ठाढ़े देखत रहिगे, गोठ करे जब नैना । नायक- तोरे हाॅसी फासी होगे, जीना मरना एके । तोला छोड़े रेगंव जब जब, हाॅसी रद्दा छेके । तोर बिना जोही अब मोला, आवय नही कुछु चैना । मैं पगला तैं पगली होगे....... नायिका- धक धक जियरा मोरे करथे, देखे बर गा तोला । तोर बिना अब का राखे हे, का मन अउ का चोला । सांस सांस मा बसे हवस तैं, मिलय कहां अब चैना । मैं पगली तैं पगला होगे.... नायक- मैं पाठा के मछरी जइसे, खोजत रहिथव पानी । जी मा जी तब आही जब तैं, होबे घर के रानी । डोला साजे तोला लाहू, सुन ले ओ फुलकैना । मैं पगला तैं पगली होगे....... नायिका- सुवा पिंजरा के जइसे मैं हर, खोलत रहिथंव पांखी । दाना पानी छोड़े बइठे, पानी ढारंव आंखी । आही मोरे राजकुवर हा, काटे बर ये रैना । मैं पगली तैं पगला होगे....

मनखे मनखे बाज

राजनीति के डोर मा, मनखे मन छंदाय । मनखे होगे जानवर, मनखेपन नंदाय ।। जात धरम हा मांस हे, मनखे मनखे बाज । आघू पाके मांस ला, चिथ चिथ के सब खाय ।। -रमेश चौहान

जय हो जय हो भारत माता

जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन । सुत उठ के बड़े बिहनिया हम, तोरे पांव पखारन । हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, जैन बौद्ध सुत तोरे । अपन अपन सुर मा सउरय सब, दाई दाई मोरे । तोरे कोरा बइठे बइठे, जुरमिल हम इतरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन । जम्मू श्रीनगर मुड़ी तोरे, मुकुट हिमालय भाये। शिमला तोरे माथे बिन्दी, दुनिया ला चमकाये ।। नाक नई दिल्ली हे तोरे, नथली हम पहिरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। उत्तरकाशी चंड़ीगढ़ हा, आंखी कारी कारी । जयपुर पटना गाल गुलाबी, मथुरा मुॅह अनुहारी । बाड़मेर कच्छ कोहिमा अउ, मणिपुर हाथ सवारन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। गंगा चम्बल गोरस तोरे, अमृत ला छलकाये । छाती भोपाल रायपुर दिल, अन्न धन्न बगराये। तोरे गोरस पीये दाई, हमघात मेछरावन । जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। (चम्बल-यमुना नदी के सहायक नदी) जगन्नाथ पेट बने हे, हरियर पर्वत साड़ी । जांघ शिमोगा संग कड़प्पा, माहे मदुरै माड़ी रामनाथपुरम संग कोल्लम, तरपौरी मनभावन जय हो जय हो भारत माता, तोरे जस हम गावन ।। मूर्ति गढ़े न मूर्ति पूजा

गांठ बांध ये गोठ ला

छोड़व जुन्ना गोठ, नवा रद्दा गढ़ना हे । लड़ई झगरा छोड़, आघु हमला बढ़ना हे । मोर धरम हे मोर, धर्म तोरे हा तोरे । अपन अपन ला मान, आन ला काबर घोरे । तोर कमाई तोर हे, दूसर के हा आन के । गांठ बांध ये गोठ ला, संगे खेलव तान के ।।

कुॅवा पार मा (युगल गीत)

नायिका- कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- सुरता आवत हावे संगी, बीते हमर कहानी । संग सहेली रहिन न कोनो, भरत रहंव मैं पानी ।। कोन डहर ले कब के आयो, खड़े रहे तैं भोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- सुरता के कोठी के छबना, देखत हॅव मैं खोले । देख देख काली के बाते, मन हा मोरे डोले ।। तोरे मोरे आंखी कइसे, तोरे मोरे आंखी कइसे, चढ़े एक हिंडोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- भरत भरत पानी हउला मा, देखेंव तोर काया । देखत देखत कइसे संगी, जागे तोरे माया ।। आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, ...... आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, होष रहय ना मोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- उतर सरग ले एक परी हा, भरत रहिस हे पानी । पाके आमा जइसे जेमा, छलकत रहिस जवानी ।। मारू

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