टपकत पानी बूंद ला, पी ले तैं खोल । टपकत पानी बूंद हा, खोलत हावे पोल । खोलत हावे पोल, नदानी हमरे मन के । नरवा नदिया छेक, बसे हे मनखे तन के ।। पाटे कुॅवा तलाब, बोर खनवाये मटकत । सुख्खा होगे बोर, कहत हे पानी टपकत ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
4 दिन पहले