श्रद्धा अउ विश्वास हा, आथे अपने आप ।
कथरी ओढ़े घीव पी, राम नाम ला जाप ।।
गलती ले जे सीखथे, अनुभव ओखर नाम ।
जीवन के पटपर डगर, आथे वोही काम ।।
उल्टा तोरे सोच के, दिखय कहू गा बात ।
गुस्सा मन मा फूटथे, लाई कस दिन रात ।।
एक होय ना मत कभू, जुरे चार विद्वान ।
अपन अपन के तर्क ले, बनथे खुदे महान ।।
एक करे बर सोच ला, सुने ल परथे गोठ ।
सुन दूसर के गोठ ला, मनखे होथे पोठ ।।
दवा क्रोध के एक हे, सहनशील मन होय ।
क्षमा दान ला मान दै, शांति जगत मा बोय ।।
दिखय नही चेथी अपन, करलव लाख उपाय ।
गलती चेदी मा बसय, कइसे लेब नसाय ।
देखे बर मुॅह ला अपन, दर्पण चाही एक ।
अपने चारी जे सुनय, बन जाथे ओ नेक ।।
कहिना कोनो बात ला, घात सहज मन मोय ।
काम करे बर कोखरो, जांगर नई तो होय ।।
आंखी होथे तीन ठन, दू जग ला देखाय ।
तीसर आंखी मन हवय, अपने देह जनाय ।।
कथरी ओढ़े घीव पी, राम नाम ला जाप ।।
गलती ले जे सीखथे, अनुभव ओखर नाम ।
जीवन के पटपर डगर, आथे वोही काम ।।
उल्टा तोरे सोच के, दिखय कहू गा बात ।
गुस्सा मन मा फूटथे, लाई कस दिन रात ।।
एक होय ना मत कभू, जुरे चार विद्वान ।
अपन अपन के तर्क ले, बनथे खुदे महान ।।
एक करे बर सोच ला, सुने ल परथे गोठ ।
सुन दूसर के गोठ ला, मनखे होथे पोठ ।।
दवा क्रोध के एक हे, सहनशील मन होय ।
क्षमा दान ला मान दै, शांति जगत मा बोय ।।
दिखय नही चेथी अपन, करलव लाख उपाय ।
गलती चेदी मा बसय, कइसे लेब नसाय ।
देखे बर मुॅह ला अपन, दर्पण चाही एक ।
अपने चारी जे सुनय, बन जाथे ओ नेक ।।
कहिना कोनो बात ला, घात सहज मन मोय ।
काम करे बर कोखरो, जांगर नई तो होय ।।
आंखी होथे तीन ठन, दू जग ला देखाय ।
तीसर आंखी मन हवय, अपने देह जनाय ।।
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