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संदेश

कतका झन देखे हें-

कहत हे पानी टपकत

टपकत पानी बूंद ला, पी ले तैं खोल । टपकत पानी बूंद हा, खोलत हावे पोल । खोलत हावे पोल, नदानी हमरे मन के । नरवा नदिया छेक, बसे हे मनखे तन के ।। पाटे कुॅवा तलाब, बोर खनवाये मटकत । सुख्खा होगे बोर, कहत हे पानी टपकत ।।

आंखी होथे तीन ठन

श्रद्धा अउ विश्वास हा, आथे अपने आप । कथरी ओढ़े घीव पी, राम नाम ला जाप ।। गलती ले जे सीखथे, अनुभव ओखर नाम । जीवन के पटपर डगर, आथे वोही काम ।। उल्टा तोरे सोच के, दिखय कहू गा बात । गुस्सा मन मा फूटथे, लाई कस दिन रात ।। एक होय ना मत कभू, जुरे चार विद्वान । अपन अपन के तर्क ले, बनथे खुदे महान ।। एक करे बर सोच ला, सुने ल परथे गोठ । सुन दूसर के गोठ ला, मनखे होथे पोठ ।। दवा क्रोध के एक हे, सहनशील मन होय । क्षमा दान ला मान दै, शांति जगत मा बोय ।। दिखय नही चेथी अपन, करलव लाख उपाय । गलती चेदी मा बसय, कइसे लेब नसाय । देखे बर मुॅह ला अपन, दर्पण चाही एक । अपने चारी जे सुनय, बन जाथे ओ नेक ।। कहिना कोनो बात ला, घात सहज मन मोय । काम करे बर कोखरो, जांगर नई तो होय ।। आंखी होथे तीन ठन, दू जग ला देखाय । तीसर आंखी मन हवय, अपने देह जनाय ।।

नाम ओखर हे ममता

ममता चंद्राकरजी ला पद्मश्री से सम्मानित होय बर गाड़ा-गाड़ बधाई - ममता दी के मान ले, माथा ऊंचा होय । छत्तीसगढ़ी बर इहां, जेने मही बिलोय ।। जेने मही बिलोय, घीव ला बांटे घर-घर । लता कोयली होय, गीत ला गाये झर-झर ।। छत्तीसगढ़ी आन, रखे हे अपने क्षमता । जेन हमर पहिचान, नाम ओखर हे ममता । -रमेश चौहान

जग ला मोहे, तोर जंवारा

जग ला मोहे, तोर जंवारा, लहर लहर लहराये । चारो कोती, आदि भवानी, तोरे ममता छाये । खातू माटी, कोने लावय, कोने लावय मरकी । कोने देवय, कपसा पोनी, कोने देवय चुरकी ।। कइसे लागे, जोत जवारा, जब नवराते आये । जग ला मोहे, तोर जंवारा... पाड़े लावय, खातू माटी, ओही लावय मरकी । कटिया देवय कपसा पोनी, कड़रा देवय चुरकी ।। जगमग करथे जोत जंवारा, जब नवराते आये । जग ला मोहे, तोर जंवारा... कोन जलावय जोत तुहारे, कोने हा जल डारे । कोने सेवा तोर बजावय, कोने मंतर भारे ।। कोन आरती तोर उतारे, कोने जस ला गाये । जग ला मोहे, तोर जंवारा... पंडित आये जोत जलाये, पण्ड़ा हा जल डारे । सेउक सेवा तोर बजावय, बइगा मंतर भारे ।। भगत आरती तोर उतारे, दुनिया जस ला गाये । जग ला मोहे, तोर जंवारा...

आज फुलवारी जागे

बिरही बिरवा होय, आज फुलवारी जागे । मंदिर मंदिर ठांव, हमर घर कुरिया लागे । रिगबिग रिगबिग जोत, जवारा झूमे लहराये । दाई के ये रूप, जगत ला घात रिझाये । नौ दिन नौ रात, करब दाई के सेवा । दाई मयारू घात, मांगबो भगती मेवा । मादर ढोल बजाय, ताल दे जस ला गाबो । झूम झूम के सांट, हाथ मा हमन लगाबो ।।

जागव जागव भारतवासी

जागव जागव भारतवासी, भारत माता करे पुकार । जाल बिछाये बैरी मन हा, मचा रखे हे हाहाकार ।। बोले के कइसन आजादी, मेटे भारत के अभिमान । जगह जगह मा गारी देके, मारत हावय ओमन शान ।। मोला जेने गारी देथे, ओला राखे माथ चढ़ाय मोर तिरंगा जेन धरे हे, ओला काबर मार भगाय मोरे गोदी मोरे लइका, सुसक सुसक के बात बताय बैरी मन हा कइसन चढगे, लइका मन ला घात सताय ।। अपन सोच ला बड़का माने, अउ बैरी ला अपन मितान कबतक तुमन सुते रहिहव रे, आंखी मूंदे गोड़े तान । कबतक तुमन सुनत रहिहव गा, अपन कान मा ठेठा बोज । मोरे लइका मारे जाथे, मोरे कोरा मा तो रोज । कइसन कायर गदहा होके, ढोवत हव दूसर के बोझ । महतारी के अचरा खातिर, बनव जलेबी कस तुम सोझ ।। सांगा बाणा लाठी ले लव, ले लव भाला गोला तोप । अपन देश के रक्षा खातिर, बांध कफन के तैं कंटोप । तोरे पुरखा इहां मरे हे, भारत माता के जय बोल छांट छांट बैरी ला मारव, लिख लाई कस तुमन टटोल ।

जय हो जय हो मइया तोरे

झांझ मंजिरा ढोलक बोले, बोले मांदर हा जयकार । जय हो जय हो मइया तोरे, संग भगत मन करे पुकार । गहद भरे तोरे फुलवरिया, जगमग जगमग चमकत जोत । जब लहराये जोत जंवारा, भगतन नाचे चारो कोत ।। सेऊक गावय भगतन झूमय, ले लेके बाणा अउ साट । बइगा सेवा तोर बजावय, भेट करय वो नीबू काट । हे आदि शक्ति आदि भवानी, कहि भगतन जयकार लगाय । अपन मनौती मन मा राखे, तोर डेहरी माथ नमाय । दुख पीरा ला मोरे हर दौ, हर दौ देश गांव के पीर । कइसन राक्षस फेरे होगे, हमरे मन हा होत अधीर ।।

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