चारे मछरी के मरे, तरिया हा बस्साय । बने बने भीतर हवय, बात कोन पतियाय ।। सच ठाढ़े अपने ठउर, घूमय झूठ हजार । सच हा सच होथे सदा, झूठ सकय ना मार ।। बुरा बुरा तैं सोचथस, बुरा बुरा ला देख । बने घला तो हे इहां, खोजे मा अनलेख ।। अपन करम ला सब करव, देखव मत मिनमेख । देखे मा गलती दिखय, तोरे मा अनलेख ।। जइसे होथे सोच हा, तइसे होथे काम । स्वाभिमान राखे रहव, होही तोरे नाम ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले