जात.पात ला छोड़व कहिथे, गिनती जे करथे । बाँट-बाँट मनखे के बोटी, झोली जे भरथे ।। गढ़े सुवारथ के परिभाषा, जात बने कइसे । निरमल काया के पानी मा, रंग घुरे जइसे ।। अगड़ी पिछड़ी दलित रंग के, मनखे रंग धरे । रंग खून के एक होय कहि, फोकट दंभ भरे । जात कहां रोटी-बेटी बर, कहिथे जे मनखे । आरक्षण बर जाति बता के, रेंगे हे तनके ।। खाप पंचायत कोरी.कोरी, बनथे रोज नवा । एक बिमारी अइसन बाचे, बाढ़े रोज सवा ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले