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कतका झन देखे हें-

जात.पात ला छोड़व कहिथे

जात.पात ला छोड़व कहिथे, गिनती जे करथे । बाँट-बाँट मनखे के बोटी, झोली जे भरथे ।। गढ़े सुवारथ के परिभाषा, जात बने कइसे । निरमल काया के पानी मा, रंग घुरे जइसे ।। अगड़ी पिछड़ी दलित रंग के, मनखे रंग धरे । रंग खून के एक होय कहि, फोकट दंभ भरे । जात कहां रोटी-बेटी बर, कहिथे जे मनखे । आरक्षण बर जाति बता के, रेंगे हे तनके ।। खाप पंचायत कोरी.कोरी, बनथे रोज नवा । एक बिमारी अइसन बाचे, बाढ़े रोज सवा ।।

काम ये खेती किसानी आय पूजा आरती

   काम ये खेती किसानी, आय पूजा आरती ।     तोर सेवा त्याग ले, होय खुश माँ भारती ।।     टोर जांगर तैं कमा ले, पेट भर दे अब तहीं ।     तैं भुईयां के हवस गा, देव धामी मन सहीं ।। 1।।     तोर ले हे गाँव सुघ्घर, खेत पावन धाम हे ।     तैं हवस गा अन्नदाता, जेन सब के प्राण हे ।।     मत कभू हो शहरिया तैं, कोन कर ही काम ला ।     गोहरावत हे भुईंयां, छोड़ झन ये धाम ला ।।2।।   

चमचा मन के ढेर हे

चमचा मन के ढेर हे बात कहे मा फेर हे गोड़ पखारत देखेंव जेला ओही बने लठैत हे पिरपिट्टी ओखर घर के हमर मन बर करैत हे कुकुर कस पूछी डोलावय कइसे कहिदंव शेर हे हाँक परे मा सकला जथे मंदारी के डमरू सुन बेंदरा भलुवा बन के कइसन नाचथे ओखरे धुन चारा के रहत ले चरिस अब बोकरा कोन मेर हे

अपने डहर मा रेंग तैं

अपने डहर मा रेंग तैं, काटा खुटी ला टार के । कोशिश करे के काम हे, मन के अलाली मार के ।। जाही कहां मंजिल ह गा, तोरे डगर ला छोड़ के । तैं रेंग भर अपने डगर, काया म मन ला जोड़ के ।।

‘मोर गजानन स्वामी बिराजे हे‘ mp3

मोर ये गीत ला स्वर दे हे- -प्रेम पटेल ये गीत ला सुने बर ये लिंक मा जावव- ➤ ‘मोर गजानन स्वामी बिराजे हे‘

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