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कतका झन देखे हें-

काबर डारे मोर ऊपर गलगल ले सोना पानी

काबर डारे मोर ऊपर, गलगल ले सोना पानी नवा जमाना के चलन ताम-झाम ला सब भाथें गुण-अवगुण देखय नही रंग-रूप मा मोहाथें मैं डालडा गरीब के संगी गढ़थव अपन कहानी चारदीवारी  के फइका दिन ब दिन टूटत हे लइका बच्चा मा भूलाये दाई-ददा छूटत हे मैं अढ़हा-गोढ़हा लइका दाई के करेजाचानी संस्कृति अउ संस्कार बर कोनो ना कोनो प्रश्न खड़े हे अपन गांव के चलन मिटाये बर देशी अंग्रेज के फौज खड़े हे मैं मंगल पाण्डेय लक्ष्मीबाई के जुबानी

भेड़िया धसान

212 222 221 222 12 कोन कहिथे का कहिथे भीड़ जानय नही बुद्धि  ला अपने ओही बेर तानय नही भेड़िया जइसे धसथे आघू पाछू सबो एकझन खुद ला मनखे आज मानय नही

समय म निश्चित बदलाव आथे

हर चढ़ाव के बाद फिसलाव आथे हर बहाव के बाद ठहराव आथे बंद होय चाहे चलय ये घड़ी हा हर समय म निश्चित बदलाव आथे

मुकतक (पीये बर पानी मिलत नई हे)

ऊपर वाले हा ढिलत नई हे हमरे भाखा ओ लिलत नई हे सेप्टिक बर आवय कहां ले पीये बर पानी मिलत नई हे -रमेश चौहान

मुक्तक (दूसर ला राखे बर चूरत हस)

अपने भाई ला बेघर करके बैरी माने तैं बंदूक धरके दूसर ला राखे बर चूरत हस अपने भेजा मा भूसा भरके -रमेश चौहान

हे गणनायक

हे गणनायक देव गजानन (मत्तगयंद सवैया) हे गणनायक देव गजानन राखव राखव लाज ल मोरे । ये जग मा सबले पहिली प्रभु भक्तन लेवन नाम ल तोरे । तोर ददा शिव शंकर आवय आवय तोर उमा महतारी ।। कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी । राखय शर्त जभे शिवशंकर अव्वल घूमय सृष्टि ल जेने । देवन मा सबले पहिली अब देवन नायक होहय तेने ।। अव्वल फेर करे ठहरे प्रभु सृष्टिच मान ददा महतारी । कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी ।। काम बुता शुरूवात करे बर होवय तोर गजानन पूजा । मेटस भक्तन के सब विध्न ल विघ्नविनाशक हे नहि दूजा ।। बुद्धि बने हमला प्रभु देवव हो मनखे हन मूरख भारी । कोन इहां तुहरे गुण गावय हे महिमा जग मा बड़ भारी ।

तीजा

  मत्तगयंद सवैया हे चहके बहिनी चिरई कस हॉसत गावत मानत तीजा । सोंध लगे मइके भुइया बड़ झोर भरे दरमी कस बीजा ।। ये करु भात ह मीठ जनावय डार मया परुसे जब दाई । लाय मयारु ददा लुगरा जब छांटत देखत हाँसय भाई ।।

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