फोकट मा कुछु पाय बर, हे खड़े एक गोड़ । स्वाभिमान ला बेच के, बइठे माड़ी मोड़ ।। बइठे माड़ी मोड़, चहेटय आनी बानी । अपन आप ला बेच, करव मत ग सियानी ।। नेता अउ सरकार, नाक रगड़े हे चैखट मा । स्वाभिमान हे जान, झोक मत कुछु फोकट मा ।। -रमेश चौहान
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
दुनिया...
4 दिन पहले