फोकट मा कुछु पाय बर, हे खड़े एक गोड़ । स्वाभिमान ला बेच के, बइठे माड़ी मोड़ ।। बइठे माड़ी मोड़, चहेटय आनी बानी । अपन आप ला बेच, करव मत ग सियानी ।। नेता अउ सरकार, नाक रगड़े हे चैखट मा । स्वाभिमान हे जान, झोक मत कुछु फोकट मा ।। -रमेश चौहान
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
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श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले