हमर धरम तो बस एक हे । देश-भक्ति हा बड़ नेक हे जनम-भूमि जन्नत ले बड़े । जेखर बर बलिदानी खड़े मरना ले जीना हे बड़े । जीये बर जीवन हे पड़े छोड़ गोठ तैं अधिकार के । अपन करम कर तैं झार के अपने हिस्सा के काम ला । अपने हिस्सा के दाम ला करना हे अपने हाथ ले । भरना हे अपने हाथ ले बइमानी भ्रष्टाचार के। झूठ-मूठ के व्यवहार के जात-पात के सब ढाल ला । तोड़व ये अरझे जाल ला देश बड़े हे के प्रांत हो । सोचव संगी थोकिन शांत हो देश गढ़े बर सब हाथ दौ । आघू रेंगे बर सब साथ दौ मनखे-मनखे एके मान के । सबला तैं अपने जान के मया-प्रेम मा तैं बांध ले । ओखर पीरा अपने खांध ले देश मोर हे ये मान ले । जीवन येखर बर ठान ले अपने माने मा तो तोर हे । नही त तोरे मन मा चोर हे
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
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6 दिन पहले