आसों के ये जाड़ मा, बाजत हावय दांत । सुरूर-सुरूर सुर्रा चलत, आगी घाम नगांत ।। आगी घाम नगांत, डोकरी दाई लइका । कका लमाये लात, सुते ओधाये फइका ।। गुलगुल भजिया खात, गोरसी तापत हासों । कतका दिन के बाद, परस हे जाड़ा आसों ।। आघू पढ़व
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
दुनिया...
17 घंटे पहले