सावन तैं करिया बिलवा हस, तैं छलिया जस कृष्ण मुरारी । जोहत-जोहत रोवत हावँव, आत नई हस मोर दुवारी ।। बूँद कहां तरिया नरवा कुछु बोर कुवाँ नल हे दुखियारी । बावत धान जरे धनहा अब रो...
Protected: जरथुश्त्र: ईरान के महान् पैगम्बर और मज़द-उपासना के प्रवर्तक
-
There is no excerpt because this is a protected post.
6 दिन पहले