डमरू घनाक्षरी (32 वर्ण लघु) सुनत-गुनत चुप, सहत-रहत गुप दुख मन न छुवत, दुखित रहय तन । बम-बम हर-हर, शिव चरण गहत, शिव-शिव शिव अस, जग दुख भर मन ।। समय-समय गुन, परख-परख रख भगत जुगल कर, शिव पद रख तन । हरियर-हरियर, ठउर-ठउर सब हरियर-हरियर, दिखय सबन मन ।। -रमेश चैहान
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
-
श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले