जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम । बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।। मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी । उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के  पागी ।। सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्चर के माला । मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।
माँ, मिट्टी और मेहनत : रामेश्वर शर्मा की रचनाएँ
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ग़ज़ल जो जनहित में सृजन हो बस वही पुरनूर होता हैसृजक का लेख हो या गीत वह 
मशहूर होता है हक़ीक़त में अगर तुम प्यार करते हो सुनों यारोंजो दिल में प्यार 
बस जाए न फ...
23 घंटे पहले
