जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम । बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।। मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी । उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के पागी ।। सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्चर के माला । मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।
दत्त, दयाध्वं और दम्यत ही क्यों?-डॉ. अर्जुन दुबे
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-डॉ. अर्जुन दुबेअंग्रेजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर,मदन मोहन मालवीय
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,गोरखपुर (यू.पी.) 273010भारतफोन. 9450886113
बीसवीं शताब्दी के मह...
13 घंटे पहले