जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम । बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।। मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी । उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के पागी ।। सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्चर के माला । मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।
लघु व्यंग्य आलेख: चित्र अथवा फोटो की सार्थकता
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प्रेम कहें, आकर्षण कहें या मोहित हो जाना कहें — आखिर यह होता क्यों है?महान
कवि कालिदास की नाट्य रचना ‘मालविकाग्निमित्र’ की कथा पढ़ते हुए मन में यह
विचार उत...
22 घंटे पहले