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कतका झन देखे हें-

सड़क पैयडगरी दुनो (नवगीत)

सड़क पैयडगरी दुनो गोठ करत हें आज लाखों मोटर-गाड़ी मनखे आके मोर दुवारी सुनव पैयडगरी, करत हवँय दिन भर तोरे चारी सड़क मुछा मा ताव दे करत हवय बड़ नाज मुच-मुच मुस्काय पैयडगरी सुन-सुन गोठ लमेरा आँखी रहिके अंधरा हवय बनके तोरे चेरा (चेरा-चेला) मनखे-मनखे के मुड़ म कोन गिराथे गाज मोर दोष कहां हवय येमा अपने अपन म जाथें आघू-पाछू देखय नहि अउ आँखी मूंद झपाथें मखमल के गद्दा धरे डारे हंव मैं साज करिया हे रूप-रंग तोरे करिया धुँआ पियाथस चिर-चिर मनखे के तैं छाती अपन ल बने बताथस कहय हवा पानी सबो आय न तोला लाज पटर-पटर करत हवस तैं हा अपन ल नई बताये रेंगा-रेंगा के मनखे ला तैं हा बहुत थकाये दर्रा भरका के फुटे काखर करे लिहाज महर-महर पुरवाही धरके अपन संग रेंगाथंव देह-पान बने रहय उन्खर अइसन मन सिरजाथंव हाथ-गोड़ मनखे धरे करंय थोरको काज

बिना मौत के मौत हा

बिना मौत के मौत हा करथे समधी भेट गोल सुरूज के चक्कर काटत हवय ब्याकुल धरती चन्दा चक्कर काटत हावे कहां हवय गा झरती चक्कर खावय जीव हा येखर फसे चपेट मांजे धोय म धोवावय नहि भड़वा बरतन करिया नवा-नवा चेंदरा आज के दूसर दिन बर फरिया घानी के बइला हमन कहां भरे हे पेट कभू आतंकी बैरी मारय कभू रेलगाड़ी हा कभू फीस अस्पताल के अउ कभू डहे ताड़ी हा काखर ले हम का कही बंद पड़े हे नेट

चलन काल के जुन्ना होगे

कांव-कांव कउंवा करे, अँगना आही कोन छोड़ अलाली रतिहा भर के बेरा हा जागे हे लाल-लाल आगी के गोला उत्ती मा छागे हे चम्चम ले चमकत हवय जइसे पीयर सोन करिया नकली नंदा जाही उज्जर के अब आये मनखे-मनखे के तन-मन मा अइसे आसा छाये देखव आँखी खोल के चुप्पा बइठे कोन चलन काल के जुन्ना होगे खड़े नवा बर जोहे नवा गुलाबी नोट मिले हे सबके मन ला मोहे मन हा टूटे कोखरो बदले जब ये टोन

मोर कलम शंकर बन जाही

पी के तोर पीरा मोर कलम शंकर बन जाही तोर आँखी के आँसू दवाद मा भर के छलकत दरद ला नीप-जीप कर के सोखता कागज मा मनखे मन के अपन स्याही छलकाही तर-तर तर-तर पसीना तैं दिन भर बोहावस बिता भर पेट ला धरे कौरा भर नई खावस भूख के अंगरा मा अंगाकर बन ये कड़कड़ ले सेकाही डोकरा के हाथ के लाठी बेटी के मन के पाखी चोर उचक्का के आघू दे के गवाही साखी आँखी मूंदे खड़े कानून ला रद्दा देखाही

ऊही ठउर ह घर कहाथे (नवगीत)

झरर-झरर चलत रहिथे जिहां मया के पुरवाही ऊही ठउर ह घर कहाथे ओदरे भले हे छबना फुटहा भिथिया के लाज ला ढाके हे परदा रहेटिया के लइका खेलत रहिथे मारत किलकारी ओही अँगना गजब सुहाथे अपन मुँह के कौरा ला लइका ला खवावय अपन कुरथा ला छोड़ ओखर बर जिन्स लावय पाई-पाई जोरे बर जांगर ला पेर-पेर ददा पसीना मा नहाथे अभी-अभी खेत ले कमा के आये हे बहू ताकत रहिस बेटवा अब चुहकत हे लहू लांघन-भूखन सहिथे लइका ला पीयाय बिन दाई हा खुदे कहां खाथे माटी, ईटा-पथरा के पोर-पोर मा मया घुरे हे माई पिल्ला के पसीना मा लत-फत ले मया हा चुरे हे खड़ा होथे जब अइसन घर-कुरिया के भथिया तभे सब मा मया पिरोथे

ये जीनगी के काहीं धरे कहां हे

अभी मन हा भरे कहां हे ये जीनगी के काहीं धरे कहां हे चाउर दार निमेर के पानी कांजी भरे हे घर के मोहाटी मा दीया बाती धरे हे अभी चूल्हा मा आगी बरे कहां हे करिया करिया बादर हा छाये हे रूख-राई हा डारा-पाना ल डोलाये हे पानी के बूँद हा अभी धरती मा परे कहां हे काल-बेल के घंटी घनघनावत हे हड़िया के अंधना सनसनावत हे जोहत हे भीतरहिन अभी पैना भरे कहां हे

गाय गरूवा अब पोषय कोन

जुन्ना नागर बुढ़वा बइला पटपर भुईंया जोतय कोन खेत खार के पक्की सड़क म टेक्टर दउड़य खदबद-खदबद बारह नाशी नागर के जोते काबर कोंटा बाचे रदबद बटकी के बासी पानी के घइला संगी के ददरिया होगे मोन पैरा-भूसा  दाना-पानी छेना खरसी गोबर कचरा घुरवा के दिन हा बहुरे हे कोन परे अब येखर पचरा फोकट म घला होगे महंगा गाय गरूवा अब पोषय कोन

चमचा मन के ढेर हे

चमचा मन के ढेर हे बात कहे मा फेर हे गोड़ पखारत देखेंव जेला ओही बने लठैत हे पिरपिट्टी ओखर घर के हमर मन बर करैत हे कुकुर कस पूछी डोलावय कइसे कहिदंव शेर हे हाँक परे मा सकला जथे मंदारी के डमरू सुन बेंदरा भलुवा बन के कइसन नाचथे ओखरे धुन चारा के रहत ले चरिस अब बोकरा कोन मेर हे

मउत

मउत ह करिया बादर बन चौबीस घंटा छाये हे कभू सावन के बादर बन खेत खार ला हरियावय फल-फूल अन्न-धन्न  उपजाके जीव-जीव ला सिरजावय कभू-कभू गाज बनके आगी ल बरसाये हे ओही बादर ला देख मनखे झूमय नाचय आगी कस दहकत घाम ले मनखे-मनखे बाचय गुस्सा मा जब बादर फाटय पर्वत घला बोहाये हे एक बूँद बरसे न जब बादर चारो कोती हाहाकार मचे हे सृष्टि के हर अनमोल रचना ये चक्कर ले कहां बचे हे आवत-जावत करिया बादर सब ला नाच नचाये हे

मन के परेवना

मन के परेवना उड़ी-उड़ी के दुनिया भर घूमत हे ठोमहा भर मया होतीस सुकुन के पेड़ जेन बोतीस लहर लहर खुषी के लहरा तन मन ला मोर भिगोतीस आँखी मा सपना देखी-देखी के अपने तकिया चूमत हे अरझे सूत ला खोलत-खोलत अपने अपन मा बोलत-बोलत जीनगी के फांदा मा फसे चुरमुरावत हे डोलत-डोलत अपने हाथ ला चाब-चाब के अपने आँखी ला घूरत हे

गीत कोयली लीम करेला

गीत कोयली लीम करेला कउवा बोली आमा उत्ती के सुरूज, बुड़ती उवय बुड़ती के सुरूज उत्ती बुड़य मनखे नवा सोच ला पाये शक्कर मा मिरचा ला गुड़य होगे जुन्ना हा, जहर महुरा आये नवा जमाना डिलवा डिलवा डबरा होगे डबरा डबरा बिल्डिंग पोगे कका बबा के संगे छोड़े दाई ददा हा अलग होगे । माचिस काड़ी छर्री-दर्री समाही अब कामा झूठ लबारी उज्जर दिखय अंधरा मन इतिहास लिखय अपन भाषा हा पर के लागय पर के भाषा मनखे मन सीखय खड़े पेड़ ला टंगिया मा काटय बोये नवा दाना

//भ्रष्टाचार// (नवगीत)

घुना किरा जइसे कठवा के भ्रष्टाचार धसे हे लालच हा अजगर असन मनखे मन ला लिलत हे ठाठ-बाट के लत लगे दारू-मंद कस पियत हे पइसा पइसा मनखे चिहरय जइसे भूत कसे हे दफ्तर दफ्तर काम बर टेक्स लगे हे एक ठन खास आम के ये चलन बुरा लगय ना एक कन हमर देश के ताना बाना हा  अपने जाल फसे हे रक्तबीज राक्षस असन सिरजाथे रक्सा नवा चारो कोती हे लमे जइसे बगरे हे हवा अपन हाथ मा खप्पर धर के अबतक कोन धसे हे ।

छत्तीसगढ़ी नवगीत: नाचत हे परिया

(नवगीत म पहिली प्रयास) नाचत हे परिया गावत तरिया घर कुरिया ला, देख बड़े । सुन्ना गोदी अब भरे दिखे आदमी पोठ अब सब झंझट टूट गे सुन के गुरतुर गोठ सब नरवा सगरी अउ पयडगरी सड़क शहर के, माथ जड़े । सोन मितानी हे बदे, करिया लोहा संग कांदी कचरा घाट हा देखत हे हो दंग चौरा नंदागे, पार हरागे बइला गाड़ी, टूट खड़े । छितका कोठा गाय के पथरा कस भगवान पैरा भूसा ले उचक खाय खेत के धान नाचे हे मनखे बहुते तनके खटिया डारे, पाँव खड़े ।।

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